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सरकार बदल गई लेकिन जन लोकपाल नहीं आया, ये बूढ़ा शख्स देश के लिए फिर से अनशन पर बैठा है
नई दिल्ली। सात साल पहले का वह आंदोलन जिसने राजनीति और सत्ता में कई बड़े बदलाव ला दिए थे। उसकी याद शायद अब लोगो के ज़ेहन से धुंधली हो चुकी है। दिल्ली के राम लीला मैदान में अनशन पर बैठे उस बूढ़े से व्यक्ति ने न केवल राजनीति के सबसे ऊंचे सोपान पर बैठे सत्ताधारियों की कुर्सी हिला दी बल्कि आमजन में अहिंसा की शक्ति को स्पष्ट कर दिया।
किसन बाबू राव हजारे जिन्हें हम अन्ना हजारे नाम से जानते हैं, ने जब इस आंदोलन की शुरुआत की तब शायद ही किसी को अनुमान हो कि यह इतना बड़ा जन सैलाब बन जाएगा।
भ्रष्टाचार और लोकपाल की मांगों को लेकर आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे सात साल बाद फिर उसी मैदान में अनशन पर बैठे हैं। मांगे वहीं सात साल पुरानी है, भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए लोकपाल बिल लाना, किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करना और लोकायुक्त की नियुक्ति।
आंदोलन के बाद इन सात सालों में बहुत कुछ बदल गया है। सत्ता बदल गई, आंदोलन करने वाले बदल गए और सात साल पहले अन्ना के साथ खड़े रहने वाले आज खुद सत्ता में आ गये। अरविंद केजरीवाल, जिन्होनें अन्ना के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, आज खुद की राजनैतिक पार्टी बना कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हैं। उस समय के कई सहयोगी आज अलग अलग ही नहीं बल्कि धुर-विरोधी हो चुके हैं।
शायद इसका ही परिणाम हैं कि इस बार रामलीला मैदान का वह नजारा देखने को नहीं मिल रहा जो सालों पहले था। हालंकि कारण कुछ और भी हो सकता है। लगभग 1500 आंदोलनकर्ता दूर दूर से अन्ना को अपनी अपनी परेशानियां बताने और अन्ना के अनशन में सहभागिता देने के लिए वहां मौजूद हैं।
पूछने पर बताते हैं कि और भी लोग इस आंदोलन में अन्ना का साथ देने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं पर उन्हे आंदोलन में आने से रोका जा रहा है और आंदोलन का हिस्सा न बनने का दबाव डाला जा रहा है। हालांकि ऐसा दबाव कौन बना रहा है, इसका जवाब वह नहीं दे पा रहे थे। अन्ना से भी जब यह सवाल किया गया तो उन्होनें भी माना कि सरकार लोगों को आंदोलन में आने से रोक रही है।
खाली पड़े मैदान से तो यहीं निष्कर्ष निकलता है। अरविंद केजरीवाल के इस आंदोलन में सहभागिता पर सवाल करने पर अन्ना हजारे ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी पार्टी को बर्खास्त कर दे, तो आंदोलन में भाग लेने के लिए उनका स्वागत है। वैसे भी अभी आंदोलन का दूसरा ही दिन है। आमजन जल्द ही अन्ना के आह्वान पर एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार को जनशक्ति दिखाने के लिए रामलीला मैदान में उमड़ आएंगे। अन्ना को भी यहीं उमीद है कि इस बार जन समर्थन पिछली बार से भी ज्यादा होगा।
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दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी
नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।
वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।
स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।
नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”
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