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सुषमा ने तुर्की के विदेश मंत्री से मुलाकात की

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सुषमा

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सुषमानई दिल्ली| विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को भारत दौरे पर आए तुर्की के विदेश मंत्री मेवलत कावुसोग्लु से यहां मुलाकात की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्विटर पर कहा, “अंकारा के साथ संबंध मजबूत करते हुए। सुषमा स्वराज ने तुर्की के विदेश मंत्री की अगुवाई की। मेवलत कावुसोग्लु दिल्ली में।”

यह कावुसोग्लु की पहली आधिकारिक भारत यात्रा है।

नियमित उच्चस्तरीय आदान प्रदान के जरिए भारत और तुर्की के द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आई है।

दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में भी वृद्धि दर्ज की गई है।

कावुसोग्लु शनिवार को हैदराबाद की यात्रा पर जाएंगे, जहां वह तुर्की के वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करेंगे।

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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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