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आध्यात्म

बड़े बड़े योगियों को गिरा देता है ये मन

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kripalu ji maharaj

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kripalu ji maharaj

आजकल के वैज्ञानिक भी मानते हैं कि ये पृथ्‍वी तो बड़ी छोटी सी है। हाँ। चन्‍द्रलोक आप देखते हैं, इसका चार सौ गुना बड़ा सूर्य और ऐसे करोड़ों सूर्यों की इससे बड़े बड़े, एक आकाश गंगा और अनन्‍त आकाश गंगा हैं। ये सब महाप्रलय में भगवान् के एक रोम में घुस जाते हैं। वो सबसे बड़े से बड़े होंगे तो कैसे प्रलय में सब भगवान् में लीन होंगे? अर्थात् वहाँ बुद्धि की गति नहीं। तो वे श्रीकृष्‍ण भगवान् जिनकी अनन्‍त शक्तियाँ और एक से एक विचित्र बुद्धि से परे वाली। उन भगवान् को अगर कोई जान ले, पा ले तो ये ‘मैं’ कौन?, ‘मेरा’ कौन? का मामला हल हो जाय। मैंने आपको डिटेल में बताया है वेदों शास्‍त्रों, पुराणों के द्वारा कि हमारे पास तीन चीज हैं- कर्मेन्द्रिया, ज्ञानेन्द्रिय, मन। ये तीनों मायिक हैं, पंचमहाभूत के। इसमें दो को हम कुछ समझते हैं, कर्मेन्द्रिय को और ज्ञानेन्द्रिय को, मन को नहीं समझ सकते। ये किधर रहता है मन? कैसा होता है? आँख को देख रहे हैं, कान को देख रहे हैं, नासिका को देख रहे हैं, ज्ञानेन्द्रियों को और हाथ पैर कर्मेन्द्रियों को भी देख रहे हैं, अनुभव कर रहे हैं। अनुभव तो मन का भी कर रहे हैं। लेकिन वो कहाँ है? कैसा है? अजी वो सूक्ष्‍म होता है। ओ! बड़ा विचित्र है वो। नचा रखा है सब बड़े बड़े योगियों को, योगियों के अलावा ज्ञानियों को भी-

आरूढ योगोऽपि निपात्‍यतेऽधः।

(शंकराचार्य)

शंकराचार्य भी कहते हैं कि ये मन ऐसा है कि आरूढ योगी जो हैं सिद्ध ज्ञानी, उनको भी गिरा देता है-

जीवन्‍मुक्‍ता अपि पुनर्बन्‍धनं यान्ति।

(वासना भाष्‍य)

योगिनः कृतमैत्रस्‍य पत्‍युर्जायेव पुंश्र्चली।

(भाग. 5-6-4)

बड़े बड़े योगियों को गिरा देता है ये मन। तो ये मन हो, चाहे ज्ञानेन्द्रिय हो, चाहे कर्मेन्द्रिय हो तीनों से परे है वो। जिसको पाकर ‘मैं’ और ‘मेरा’ ये प्रश्‍न हल होगा और आपका एम दिव्‍यानन्‍द, अनिर्वचनीय, अपरिमेय अपौरुषेय परमानन्‍द मिलेगा। लेकिन निराश होने की बात नहीं। भगवान् ने वेदों में कहा मैं जिसको अपनी शक्ति दे देता हूँ अपनी आँख, अपने कान, अपनी इन्द्रियाँ, अपना मन, अपनी बुद्धि यानी सब दिव्‍य दिव्‍य दिव्‍य हो जाते हैं। वो मुझ दिव्‍य को जान लेता है, देख लेता है, पा लेता है, मनुष्‍यों की तरह व्‍यवहार करता है। उनके पाने का उपाय भी पूछा गया तो बताया गया कि तीन मार्ग हैं- कर्म, ज्ञान, भक्ति।

आध्यात्म

नौकरी में चाहिए प्रमोशन तो अपनाएं ज्योतिष के ये उपाय

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नई दिल्ली। अगर आप पिछले काफी समय नौकरी कर रहे हैं और आपका प्रमोशन नहीं हो रहा है। या फिर आपकी बॉस से नहीं बन रही है तो ये कुछ सरल उपाय करके आप सफलता पा सकते हैं।

. शनिवार की सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर घर में किसी पवित्र स्थान पर पूजन का विशेष प्रबंध करें या किसी मंदिर में जाएं। शनिवार शनि की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। शनि हमारे कर्मों का फल देने वाले देवता हैं। अत: इसी दिन शनि देव का विधिवत पूजन करनी चाहिए।

. तरक्की के लिए सूर्य देवता को मनाना काफी शुभ बताया जाता है। जो लोग आसानी से तरक्की करते हैं उनका सूर्य काफी मजबूत होता है। प्रतिदिन सुबह सूर्य को पानी अर्पित करें और सूर्य नमस्कार करें। सूर्य देवता को जल अर्पित करने वाला बर्तन तांबे का हो और उसमें थोड़ा गंगाजल डालें। जल अर्पित करने के बाद सूर्य देवता से अपनी इच्छा रोज जाहिर किया करें।

. यदि नौकरी-पेशा करने वाले जातकों को प्रमोशन नहीं मिल रहा है अथवा उनकी तनख्वाह में वृद्धि नहीं हो रही है तो उन्हें मंगलवार के दिन हनुमान जी की आराधना करना चाहिए।

. प्रतिदिन पक्षियों को मिश्रित अनाज खिलाना चाहिए। सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। इसमें गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें शामिल की जा सकती हैं। प्रतिदिन सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।

. रात को सोते समय एक तांबे के बर्तन में पान भरकर अपने बिस्तर के नीचे रखें और सुबह उठते ही, बिना किसी को बोले, यह जल घर के बाहर फेंक दें।

. भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्तों की मन की मुराद पूरी होती है इसलिए नौकरी में प्रमोशन पाने के इच्छुक जातकों को भगवान विष्णु जी की आराधना करनी चाहिए।

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