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आध्यात्म

वो परिपूर्णतम ब्रह्म है

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परिपूर्णतम ब्रह्म

अरे वो तो आत्‍माराम है उसको बाहर से क्‍या चाहिये और क्‍यों चाहिये? वो तो परिपूर्णतम ब्रह्म है। हाँ। और आप सृष्टि का कर्म करते हैं। आप ही ने संसार प्रकट किया है न। हाँ, तो पहले पहल आपने क्‍या किया था?-

ईक्षतेर्नाशब्‍दम्।  (ब्र. सू.. 1-1-5)

जन्‍माद्यस्‍य यतः। (ब्र. सू. 1-1-2)

जन्‍माद्यस्‍य यतोऽन्‍वयात् । (भाग. 1-1-1)

ये संसार जिससे प्रकट होता है, पैदा होता है-

यतो वा इमानि भूतानि जायन्‍ते।

(तैत्तिरीय. 3-1)

यथाग्‍नेः क्षुद्रा विस्‍फुलि़ङ्गा व्‍युच्‍ चरन्‍ त्‍येवमेवास्‍मादात्‍मनः सर्वे

प्राणाः सर्वे लोकाः सर्वे देवाः सर्वाणि भूतानि व्‍युच्‍ चरन्ति।

(बृहदा. 2-1-20)

हाँ संसार मैंने ही प्रकट किया। कैसे किया था?-

स वै नैव रेमे तस्‍मादेकाकी न रमते स द्वितीयमैच्‍छत् । स इममेवात्‍मानं द्वेधापातयत्‍ततः पतिश्र्च पत्‍नी चाभवताम् ।

(बृहदा. 1-4-3)

इच्‍छा किया। अकेले मन नहीं लगा। मन भी था तुम्‍हारे पास? हाँ। ‘नैव रेमे’  अरे वेदा में तो लिखा है-

अप्राणो ह्यमनाः शुभ्रो ह्यक्षरात् परतः परः।

(मुण्‍डको. 2-1-2)

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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