हेल्थ
प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है ग्रीन-टी : वैज्ञानिक
न्यूयार्क| ग्रीन टी के शौकीनों के लिए हिदायत है कि वह संभल जाएं क्योंकि एक नए शोध के मुताबिक यह आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
आमतौर पर ग्रीन टी आम चाय की तुलना में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानी जाती है लेकिन एक नए शोध से सामने आया है कि इसके लगातार सेवन से प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
कैलिफोर्निया-इरविन यूनिवर्सिटी के एक दल ने फ्रूट फ्लाइस (फल मक्खियों) पर किए गए परीक्षण में पाया कि ग्रीन टी की अत्यधिक खपत से उनका विकास और प्रजनन क्षमता प्रभावित हुई है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, “ग्रीन टी की बढ़ती लोकप्रियता इसका सेवन करने वालों की संख्या को लगातार बढ़ा रही है जो कि गलत है। ग्रीन टी या फिर अन्य किसी प्राकृतिक उत्पाद का अत्यधिक सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।”
फार्मास्युटिकल साइंसेज के सह प्राध्यापक महताब जाफरी कहती हैं, “ग्रीन टी के उचित सेवन से स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव होता है, वहीं इसका अत्यधिक सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। ”
उन्होंने बताया कि कोई ठोस निर्णय देने से पहले अभी हमें इस शोध पर काफी काम करना है लेकिन हमारा सुझाव है कि इसका कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।
वैज्ञानिकों ने ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर फ्रूट फ्लाई पर ग्रीन टी के हानिकारक प्रभावों का परीक्षण किया है। उन्होंने देखा कि जिन मक्खियों के लार्वा और भ्रूण ग्रीन टी पॉलीफिनाल्स (एंटी ऑक्सीडेंट) की विभिन्न खुराकों के अधीन थे। उनकी संतानों में धीमी गति का विकास और अजीब से बदलाव देखे गए।
जाफरी का मानना है कि ग्रीन टी की उच्च खुराक की वजह से कोशिकाएं मरने लगती हैं।
उन्होंने बताया, “केमेलिया सिनेसिस से उत्पन्न ग्रीन टी पूरी दुनिया में अपने गुणों के लिए मशहूर है। लेकिन जब हमने इसका परीक्षण चूहों और कुत्तों पर किया, तो ग्रीन टी की अधिक मात्रा से उनका वजन कम हो गया और भ्रूण का विकास भी प्रभावित हुआ।”
“हम ग्रीन टी और अन्य प्राकृतिक उत्पादों की उचित मात्रा की जानकारी के लिए मक्खियों पर परीक्षण की तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद हम मानवों के लिए इसकी सही और उचित खुराक को बताने में सक्षम हो जाएंगे।”
यह अध्ययन ‘फंक्शनल फूड्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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नई दिल्ली। अनियमित लाइफ स्टाइल व तला भुना जंक फूड दिल से जुड़ी बीमारियों की मुख्य वजह बन गया है। स्टडीज़ के अनुसार, अगर आप अपने दिल की सेहत में सुधार करना चाहते हैं, तो इन 4 तरह के खाने से दूरी बना लें।
तला हुआ खाना
कई शोध से पता चला है कि सैचुरेटेड फैट्स शरीर में बैड कोलेस्ट्ऱॉल की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। रेड मीट, फ्रेंच फ्राइज़, सैंडविच, बर्गर आदि जैसे फूड्स LDL यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे स्ट्रोक और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है।
चीनी युक्त सोडा या फिर केक
चीनी को मीठा ज़हर ही कहा जाता है। केक, मफिन, कुकीज़ और मीठी ड्रिंक्स शरीर में सूजन का कारण बनते हैं। चीनी का ज़्यादा सेवन शरीर में फैट्स बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज़, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
लाल मांस
रेड मीट सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है, जिसकी वजह से धमनियों में प्लाक जम सकता है। जिनको मटन खाने का शौक है, उन्हें वह हिस्सा खाना चाहिए जिसमें ज़्यादा प्रोटीन और कम फैट हो। अगर आप चिकन खा रहे हैं तो ब्रेस्ट, विंग्ज़ वाला हिस्सा में ज़्यादा प्रोटीन होता है और कम फैट। वहीं, मछली सबसे हेल्दी और अच्छा ऑप्शन है।
सफेद चावल, ब्रेड या फिर पास्ता
सफेद ब्रेड, मैदे, चीनी और प्रोसेस्ड तेल को मिलाकर तैयार किए जाने वाले फूड्स में किसी भी तरह का फायदा नहीं होता। ऐसा ही सफेद पास्ता के साथ भी है। सफेद चावल में फाइबर की मात्रा कम होती है, इसलिए दिल की सेहत के लिए इसका ज़्यादा सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
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