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हेल्थ

सर्दियों में बच्चे को निमोनिया से बचाएं

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नई दिल्ली। जिस देश में 4.3 करोड़ लोग निमोनिया से पीड़ित हैं, वहां पर इसकी रोकथाम और जांच के बारे में खास कर सर्दियों में जागरूकता फैलाना बेहद आवश्यक है। इसका एक कारण यह भी है कि आम फ्लू, छाती के संक्रमण और लागातार खांसी के लक्षण इससे मेल खाते हैं। निमोनिया असल में बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवी से फेफड़ों में होने वाला एक किस्म का संक्रमण होता है, जो फेफड़ों में एक तरल पदार्थ जमा करके खून और ऑक्सीजन के बहाव में रुकावट पैदा करता है। बलगम वाली खांसी, सीने में दर्द, तेज बुखार और सांसों में तेजी निमोनिया के लक्षण हैं।

अगर आपको या आपके बच्चे को फ्लू या अत्यधिक जुकाम जैसे लक्षण हैं, जो ठीक नहीं हो रहे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर सीने का एक्सरे करवाएं, ताकि निमोनिया होने या न होने का पता लगाया जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया पांच साल से छोटी उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने व मृत्यु होने का प्रमुख कारण है।

इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ के.के. अग्रवाल ने कहा, “छोटे बच्चे, नवजातों और समय पूर्व प्रसव से होने वाले बच्चे, जिनकी उम्र 24 से 59 महीने है और फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हैं, हवा नली तंग है, कमजोर पौष्टिकता और रोगप्रतिरोधक प्रणाली वाले बच्चों को निमोनिया होने का ज्यादा खतरा होता है।”

उन्होंने कहा कि अस्वस्थ व अस्वच्छ वातावरण, कुपोषण और स्तनपान की कमी की वजह से निमोनिया से पीड़ित बच्चों की मौत हो सकती है, इस बारे में लोगों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है। कई बच्चों की जान बचाई जा सकती है और यह डॉक्टरों का फर्ज है कि वे नई मांओं को अपने बच्चों को स्वस्थ रखने तथा सही समय पर वैक्सीन लगवाने के लिए बताएं।

निमोनिया कई तरीकों से फैल सकता है। वायरस और बैक्टीरीया अक्सर बच्चों के नाक या गले में पाए जाते हैं और अगर वह सांस से अंदर चले जाएं तो फेफड़ों में जा सकते हैं। वह खांसी या छींक की बूंदों से हवा नली के जरिये भी फैल सकते हैं। इसके साथ ही जन्म के समय या उसके तुरंत बाद रक्त के जरिये भी यह फैल सकता है।

वैक्सीन, उचित पौष्टिक आहार और पर्यावरण की स्वच्छता के जरिये निमोनिया रोका जा सकता है। निमोनिया के बैक्टीरिया का इलाज एंटीबायटिक से हो सकता है, लेकिन केवल एक तिहाई बच्चों को ही एंटीबायटिक्स मिल पा रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि सर्दियों में बच्चों को गर्म रखा जाए, धूप लगवाई जाए और खुले हवादार कमरों में रखा जाए। यह भी जरूरी है कि उन्हें उचित पौष्टिक आहार और आवश्यक वैक्सीन मिले।

नियूमोकोकल कोंजूगेट वैक्सीन और हायमोफील्स एनफलुएंजा टाईप बी दो प्रमुख वैक्सीन हैं, जो निमोनिया से बचाती हैं। लेकिन 70 प्रतिशत बच्चों को महंगी कीमत और जानकारी के अभाव की वजह से यह वैक्सीन लगवाई नहीं जाती। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह राष्ट्रीय स्तर पर इस वैक्सीन को बच्चों तक पहुंचाने के लिए योजना बना कर लागू करे, ताकि इस बीमारी को कम किया जा सके।

लाइफ स्टाइल

तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय

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Death due to heart diseases increasing

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नई दिल्ली। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई आबादी में आनुवंशिक रूप से दिल की बीमारियों की संभावना अधिक होती है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

सेहतमंद आहार लें

संतुलित और सेहतमंद आहार का सेवन करने से शरीर को सही पोषण मिलता है। जंक फूड में फैट, नमक और चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो समय के साथ हमारे दिल को बीमार बना देती है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इस तरह का भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और लो सैचुरेटेड फैट होने चाहिए।

गतिहीन जीवनशैली से बचें

बहुत से लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। आज हममें से लाखों लोग ऐसी नौकरियां करते हैं, जिसके लिए उन्हें घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ता है। व्यायाम की कमी व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह मोटापे को जन्म देती है, जिसके कारण व्यक्ति धीरे धीरे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का शिकार बन जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय

व्यायाम दिल को तंदुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्डियो व्यायाम से दिल की पम्प करने की क्षमता बढ़ती है और दिल की मांसपेशियां तंदुरुस्त बन जाती हैं। नियमित व्यायाम करने से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं और ब्लड शुगर भी नियन्त्रित रहती है।

तनाव से बचें

तनाव आज हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, खासतौर पर ज्यादातर शहरी लोग अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं। जब आपका शरीर तनाव में रहता है, तो इसका असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। तनाव के समय शरीर में एड्रिनलिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, अगर ऐसा नियमित रूप से होने लगे तो दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

अच्छी और गहरी नींद

समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी नींद को कम कर काम करने लगते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नींद से समझौता करते हैं जो सेहत के लिए खास तौर पर दिल के लिए खतरनाक है। 7-8 घंटे से कम नींद लेने से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब का सेवन किसी भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। आजकल विकासशील देशों में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जो दिल के लिए नुकसानदायक है। यहां तक कि अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह भी आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। धूम्रपान छोड़ने के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इसकी आदत छोड़ने के लिए निकोटीन पैच या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराकर आप दिल की बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से अगर आपको कोई समस्या है तो समय पर उसका निदान हो जाएगा और समय रहते इलाज शुरू कर बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। इसलिए नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहें और अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करते रहें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी एक सूचना मात्र है. अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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