Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

खेल-कूद

आखिर क्रिकेट को क्यों पड़ी दिन-रात के टेस्ट की जरूरत?

Published

on

Loading

नागपुर| टेस्ट मैचों को हमेशा से क्रिकेट का ‘चरम’ माना जाता रहा है। खिलाड़ियों के बीच इसकी लोकप्रियता को लेकर कभी कोई शक नहीं रहा है और शायद होगा भी नहीं, लेकिन हाल के दिनों में ऐसा क्या हुआ कि क्रिकेट की नियामक संस्थाओं को वह करना पड़ा जो बीते 138 साल के इतिहास में नहीं हुआ?

आज क्रिकेट के तीन प्रारूप हैं। हर प्रारूप की अपनी महत्ता और लोकप्रियता का ग्राफ है। जब एकदिवसीय और टी-20 नहीं हुआ करते थे, तब प्रथम श्रेणी मैच थे लेकिन सर्वोपरि टेस्ट क्रिकेट ही था। आज भी टेस्ट क्रिकेट सर्वोपरि है लेकिन एकदिवसीय और खासकर टी-20 के ग्लैमर ने इसका आकर्षण देखने वालों के बीच काफी हद तक कम कर दिया है।

खिलाड़ियों के बीच इसके ग्लैमर या फिर आकर्षण में कोई कमी नहीं आई है लेकिन कोई भी खेल सिर्फ खिलाड़ियों के खेलने से सफल नहीं होता। उसकी लोकप्रियता को मापने के लिए दर्शकों की संख्या और टीवी पर टीआरपी की जरूरत होती है और वैश्विक खेलों में राष्ट्रीय टीमों को अपने प्रशंसकों की तालियों से बल मिलता है।

आज का खेल बाजार से प्रभावित है। टी-20 सबसे अधिक और एकदिवसीय क्रिकेट उससे कुछ कम। टेस्ट क्रिकेट पर भी बाजार का असर है। कोई सीरीज होती है तो उसके लिए टी-20, एकदिवसीय और टी-20 के लिए एक ही प्रसारणकर्ता होता है। प्रसारणकर्ता अधिकार हासिल करने के लिए करोड़ों डॉलर खर्च करता है। उसे टीवी दर्शकों की तादाद से मतलब होता है। उसे टीआरपी से मतलब होता है। टीआरपी पर ही उसकी कमाई आश्रित होती है।

ऐसे में जब टेस्ट क्रिकेट को टीवी दर्शक न मिलें तो निश्चित तौर पर उससे बाजार प्रभावित होगा। प्रसारण अधिकारों में बोली कम लगेगी और इसका सीधा असर विज्ञापनों के दर पर पड़ेगा। ऐसे में कोई भी प्रसारणकर्ता नुकसान झेलकर काम नहीं करना चाहेगा। अब ऐसे में नियामक संस्थाओं पर कुछ करने का दबाव बनेगा।

इसी क्रम में 2009 में क्रिकेट की सर्वोच्च नियामक संस्था-एमसीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि एशेज जैसी आइकोनिक सीरीज को छोड़ दिया जाए तो दुनिया भर में टेस्ट क्रिकेट को देखने वालों की संख्या में खतरनाक स्तर पर कमी आई है। इससे तो क्रिकेट का यह प्रारूप मर जाएगा। इसके बाद ही एमसीसी ने दिन-रात के टेस्ट क्रिकेट की परिकल्पना को दुनिया के सामने रखा।

एमसीसी का यह कहना बिल्कुल सही है। क्रिकेट के गढ़ों में से एक भारत में आज हालात यह है कि भारतीय टीम का सामना विश्व की सर्वोच्च वरीयता प्राप्त टेस्ट टीम से हो रहा है और स्टेडियम लगभग खाली रह जाते हैं। बीते पांच सालों की बात करें तो 2013 में जब सचिन तेंदुलकर ने संन्यास लिया था, तब उनके करियर के आखिरी टेस्ट मैच के दौरान भारत में कोई स्टेडियम पूरी तरह भरा था। उससे पहले और उसके बाद के आंकड़े निराशाजनक हैं।

इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने गुलाबी रंग की गेंद के साथ छह साल तक दुनिया भर में परीक्षण करने के बाद आखिरकार 27 नवंबर से दुनिया के सबसे पुराने क्रिकेट स्टेडियमों में से एक एडिलेड ओवल में पहला आधिकारिक दिन-रात का टेस्ट कराने का फैसला किया। यह एक ऐतिहासिक घटना थी और पूरी दुनिया इसे टेस्ट क्रिकेट के हक में सकारात्मक बदलाव के रूप में देख रही है।

आईसीसी ने अपना पक्ष साफ करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक मैच टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाने की योजना का हिस्सा है। आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेविड रिचर्डसन ने कहा कि दिन-रात के टेस्ट मैच से ऐसे देशों में क्रिकेट के इस प्रारूप की लोकप्रियता में इजाफा लाने में मदद मिलेगी, जहां टेस्ट देखने स्टेडियम में बहुत कम संख्या में दर्शक पहुंचते हैं।

रिचर्डसन ने कहा, “वास्तविकता यही है कि टेस्ट क्रिकेट कई तरह की चुनौतियों से जूझ रही है, जैसे कुछ देशों में दर्शकों की संख्या में कमी। इसके अलावा टेस्ट क्रिकेट को सीमित ओवरों वाले प्रारूप से भी काफी चुनौती मिल रही है। या तो हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें और टेस्ट क्रिकेट के प्रति रुचि खत्म हो जाने दें या तो बिल्कुल नई रचनात्मकता के साथ सर पर खड़ी इस समस्या का समाधान निकालें।”

ऐसा नहीं है कि दिन-रात के टेस्ट मैचों में दिक्कतें सामने नहीं आएंगी। हाल के दिनों में क्रिकेट जगत में इन मुश्किलों को लेकर अच्छी खासी बहस चल रही थी। इसका मुख्य कारण यह है कि शाम के वक्त बल्लेबाजों को गेंद को देखने में दिक्कत हो सकती है और फिर रात के दौरान बल्लेबाजों को अधिक स्विंग का सामना करना होगा।

आईसीसी ने हालांकि इन तमाम बातों को नजरअंदाज करते हुए दिन-रात के टेस्ट को प्रोमोट करने का फैसला किया है। जाहिर तौर पर आईसीसी बिना अपने स्थायी, सम्बद्ध और अस्थायी सदस्यों के समर्थन के बगैर ऐसा नहीं कर सकता था। ऐसे में शुक्रवार को जब आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की टीमें एडिलेड मैदान पर उतरेंगी तो पूरी दुनिया की नजर उन पर होगी।

खेल-कूद

ICC T20 रैंकिंग में सूर्य कुमार यादव का जलवा बरकरार, नंबर एक की पोजीशन कायम

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आईसीसी की ओर से एक बार फिर से टी20 की नई रैंकिंग जारी कर दी गई है। भारत के सूर्यकुमार यादव का नंबर एक की कुर्सी पर कब्जा बना हुआ है। वे पिछले कुछ वक्त से इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर बने हुए हैं। इसके बाद भी उनकी कुर्सी पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है। वहीं इंग्लैंड के फिल साल्ट 802 की रेटिंग के साथ दूसरे नंबर पर हैं। यानी पहले और दूसरे नंबर के बल्लेबाज के बीच काफी ज्यादा अंतर है।

पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शाहीन शाह आफरीदी न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर पाकिस्तान की चल रही टी20 सीरीज में अपनी मजबूत शुरुआत के दम पर नवीनतम आईसीसी पुरुष टी20 गेंदबाजों की रैंकिंग में दो पायदान ऊपर 17वें स्थान पर पहुंच गए।

अफरीदी श्रृंखला के पहले तीन मैचों में अग्रणी विकेट लेने वाला गेंदबाज है। वहीं पाकिस्तान के दूसरे गेंदबाज हारिस रऊफ 22वें स्थान पर हैं। गेंदबाज की टी-20 रैंकिंग में इंग्लैंड के आदिल रशीद नंबर 1 पर बने हुए हैं।

Continue Reading

Trending