आध्यात्म
साल का पहला सूर्यग्रहण खत्म, जानें किन राशियों की चमक उठेगी किस्मत
सूर्यग्रहण के बाद कुछ राशि वालों पर भोलेनाथ की कृपा रहेंगी। पारिवारिक समस्या आएंगी, लेकिन चिंता ना करें भोलेनाथ के आशीर्वाद से आपकी सब समस्याएं हल हो जाएंगी। आइए जानते है, सूर्यग्रहण के बाद इन राशियों पर क्या पड़ेगा असर –
मेष राशि : मेष राशि वाले लोगों को कार्यक्षेत्र में अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। आने वाले दिनों आपको फायदा हो सकें। इस समय कारोबार में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
सिंह राशि : सिंह राशि वाले लोगों को प्रेम के क्षेत्र में स्थितियां अनुकूल रहेंगे। आपको अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने की जरूरत है। दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी।
तुला राशि : तुला राशि वाले लोगों को पारिवारिक जीवन में खुशियां बनी रहेंगी। कारोबार में तरक्की होगी। किस्मत आपके साथ है। इस समय अधिक धन कमाने में सफल रहेंगे।
वृश्चिक राशि : वृश्चिक सिंह राशि वाले लोगों पर अपार महादेव की कृपा दृष्टि बनी रहेगी। इस समय आप अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करेंगे। प्रेम क्षेत्र में सफलता मिलेगी। आपका आने वाला वक्त अच्छा रहेगा।
कुंभ राशि : कुंभ राशि वाले लोगों को अपने जीवन में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। आप पर शनि देव महाराज की कृपा दृष्टि बनी रहेगी। पुराने मित्रों से मुलाकात होने की संभावना है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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