आध्यात्म
31 October rashifal : पारिवारिक जीवन में हो सकती है खटपट, कोर्ट-कचहरी के मामलों में मिलेगी विजय
सिंह: पारिवारिक जीवन में कुछ खटपट हो सकती है। साहस व धैर्य से काम लें और किसी भी कार्य में जल्दबाजी न करें। नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने से कार्यक्षेत्र में प्रगती की बहुत संभावना बढ़ गई हैं। हालांकि व्यवसाय में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। लेनदारियां वापिस आने का समय है। व्यस्तता के बीच लव लाइफ के लिए समय निकालेंगे। माता के साथ किसी मुद्दे पर तनाव हो सकता है।
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कन्या: छात्रों को आज निरंतर परिश्रम की आवश्यकता पड़ेगी। विदेश में नौकरी करने वालों के लिए शुभ समय है, बचत पर ध्यान रखें। बहन के विवाह की चिंता खत्म होगी और कार्यक्षेत्र में अधिकारियों द्वारा आपके कार्य की सराहना की जाएगी। माता-पिता के साथ संबंधों में सुधार आएगा और धन प्राप्ति के योग बन रहे हैं। साथ ही पारिवारिक जरूरतों के लिए खर्च भी हो सकता है।
तुला: आज पराक्रम में वृद्धि के योग बन रहे हैं और सुबह धन लाभ होगा। कोर्ट-कचहरी के मामलों में आपकी विजय होगी। कार्यक्षेत्र में सफलता शीर्ष पर पहुंचेगी और कोष में भी वृद्धि होगी। भूमी खरीदने के योग बन रहे हैं और व्यापार में भी लाभ होगा। संतान की सफलता से मन आनन्दित होगा। किसी नए कार्य का आरंभ होगा, जिससे समाज में सम्मान मिलेगा।
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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