आध्यात्म
KarvaChauth2018 : करवा चौथ के लिए खास मेहंदी डिज़ाइन्स, जानिए इसे रचाने के TIPS
इस साल करवाचौथ 27 अक्टूबर 2018 शनिवार को हैं। इस दिन महिलाएं खूबसूरत दिखने के लिए मेकअप करती है। घंटो पार्लर में बैठतक तैयार होती हैं। वहीं पूजा के समय क्या पहनना हैं, साथ में ज्वेलरी क्या पहननी हैं। कपड़ों और पार्लर में मेकअप के अलावा सबसे जरूरी होती है मेंहदी। इस करवाचौथ आपको मेंहदी की डिज़ाइन और रचाने के TIPS ढूंढने में दिक्कत ना हो। इसीलिए आपको यहां सबसे खूबसूरत और लेटेस्ट मेहंदी डिज़ाइन के साथ-साथ मेहंदी रचाने के आसान टिप्स भी दिए जा रहे हैं।
मेहंदी रचाने के आसान TIPS
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मेहंदी लगाने से पहले हाथों को अच्छे से धोएं और फिर इन पर मेहंदी का तेल लगा लें।
मेहंदी अच्छी रचाने के लिए हाथों को 6 से 8 घंटे तक पानी से दूर रखें।
मेहंदी को हाथों से खुद ही झड़ने दें, जब तक वह अच्छे ना सूख जाए इसे हटाएं नहीं।
मेहंदी लगाने के बाद जब मेहंदी हल्की सूख जाए तो तवे पर कुछ लौंग डालकर, उसके धुएं से मेहंदी सुखाएं। इससे मेहंदी ज्यादा रचती है।
मेहंदी जब हाथों से निकल जाए तो चूने में हल्का पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं और हाथों पर रगड़ लें।
चूना लगाने के बाद हाथों की सरसों की तेल से मालिश करें और अपने हाथों को गर्म जगह पर ही रखें।
करवाचौथ के लिए खास मेहंदी डिज़ाइन्स –
PHOTOS CREDIT : INSTAGRAM
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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