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आतंकियों के पास है हथियारों की कमी : ‘दहशत है फैलाना, तो हथियार साथ लाना’

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंकी आए दिन पुलिस और सेना के जवानों पर हमला करते हैं और मरने मारने से ज़्यादा हथियारों को छीनने के फिराक में रहते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ बुधवार को जब जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकियों ने पुलिस पर हमला किया। हमले में शहीद हुए 4 जवानों के हथियार आतंकी अपने साथ ले गए। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस वक्त घाटी में करीब 270 आतंकी सक्रीय हैं लेकिन उनके पास पर्याप्त मात्रा में हथियार नहीं हैं। हथियारों को छीनने के लिए ही वो सेना के जवान या सशस्त्र पुलिसकर्मियों पर हमला करते हैं।
सूत्रों की मानें तो जून और जुलाई के महीने में आतंकियों की संख्या तेजी से बढ़ी थी। इस साल अभी तक 106 लोगों को आतंकी बनाया गया है वहीं पिछले साल 128 लोग आतंकवादी बने थे। पिछले कुछ समय में हमारे सैनिकों द्वारा आतंकियों के खात्मे में तेजी आई है। जिसके चलते आतंकियों के हथियार भी कम हो गए हैं।
आतंकी संगठन नए लोगों को अपने साथ जोड़ रहा है लेकिन हथियारों की कमी उनके लिए एक बड़ी समस्या है। इसलिए आज कल वो सारे हमले हथियार छीनने के लिए करते हैं। किसी भी नए आतंकी के भर्ती से पहले हथियार छीने जाते हैं। इन हमलों के केवल दो ही मकसद रहते हैं। पहला दहशत फैलाना दूसरा हथियार छीनना।
पहले जब कोई आतंकी आतंक की ट्रेनिंग के लिए सीमा पार जाता था तो साथ में हथियार भी लाता था लेकिन अब ऐंटी इनफिल्ट्रेशन ऑब्स्टिकल सिस्टम (एआईओएस) के बनने से हथियारों का लाना और घुसपैठ कम हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक आतंकियों की नजर एके राइफल पर रहती है क्योंकि इसे चलाना आसान है। पहले फौज ने माइनॉरिटी पिकेट्स में तैनात जवानों को एके राइफल दी थी लेकिन इसे बाद में रणनीति के तहत इंसास राइफल से रिप्लेस किया गया। कश्मीर में 100 से ज्यादा माइनॉरिटी पिकेट्स हैं जिनमें तीन से चार जवान तैनात रहते हैं।
नेशनल
हैदराबाद एनकांउटर केसः सीजेआई बोले-बदले की भावना से किया गया न्याय सही नहीं

नई दिल्ली। हैदराबाद में गैंगरेप के आरोपियों के एनकाउंटर पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे की प्रतिक्रिया सामने आई है।उन्होंने गैंगरेप के आरोपियों के एनकाउंटर में मारे जाने की घटना की आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो अपना मूल चरित्र खो देता है। जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट की नई इमारत के उद्घाटन समारोह में जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, “मैं नहीं समझता हूं कि न्याय कभी भी जल्दबाजी में किया जाना चाहिए, मैं समझता हूं कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो ये अपना मूल स्वरूप खो देता है।”
इस दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी वहीं मौजूद थे। जस्टिस जोधपुर में एक कार्यक्रम में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि न्याय कभी भी आनन-फानन में किया नहीं जाना चाहिए।
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