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अन्तर्राष्ट्रीय

हिलेरी विदेश नीति पर अच्छा काम करेंगी : सर्वे

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वॉशिंगटन। अमेरिकी नागरिक संभवत: यह मानते हैं कि हिलेरी क्लिंटन राष्ट्रपति बनने पर विदेशी मामलों को सही तरह से संभाल सकती हैं। लेकिन उनका यह भी मानना है कि उनकी सबसे बड़ी ताकत जो होगी, वह यह कि देश के विभिन्न समुदायों से उनके अच्छे ताल्लुकात।
गैलप सर्वेक्षण के मुताबिक, 2016 के राष्ट्रपति चुनाव की संभावित उम्मीदवार पूर्व प्रथम महिला को राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार में विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्य पर मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली है। सव्रेक्षण के अनुसार, चार साल तक अमेरिका की शीर्ष राजनयिक पद की जिम्मेदारी, आठ साल तक सीनेटर और आठ साल तक प्रथम महिला का अनुभव राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में उनके लिए फायदेमंद हो सकता है।

रिपब्लिकन और अन्य हालांकि, विदेश विभाग में उनके कार्यकाल की आलोचना कर रहे हैं, क्योंकि उसी दौरान लीबिया के बेनगाजी स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर आतंकवादी हमला हुआ था। हमले के बाद की स्थिति को उन्होंने कैसे संभाला इसे लेकर उनकी आलोचना होती रही है। उनकी आलोचना विदेश मंत्री रहते हुए आधिकारिक कामकाज के लिए अपने निजी ईमेल आईडी के इस्तेमाल को लेकर भी होती रही है।

अमेरिकी नागरिकों ने विदेश मामलों में हिलेरी को पूरे अंक दिए हैं। हालांकि यह विभिन्न अमेरिकी समुदायों के बीच समन्वय की उनकी क्षमता के लिए दिए गए अंक से कम है। आतंकवाद से मुकाबले के संबंध में हिलेरी को कम अंक मिले हैं। करीब 42 प्रतिशत अमेरिकी नागरिकों का मानना है कि राष्ट्रपति बनने के बाद हिलेरी विदेश मामलों से संबंधित कार्यो का निष्पादन अच्छे से करेंगी, जबकि करीब 29 फीसदी का मामना है कि इस मामले में उनका काम अच्छा नहीं होगा। वहीं, करीब 44 फीसदी का मानना है कि हिलेरी अमेरिका में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच समन्वय का काम सही तरीके से करेंगी, जबकि 22 फीसदी ने इसके लिए उन्हें नकारात्मक अंक दिए हैं।

आतंकवाद से मुकाबले के संबंध में 39 फीसदी ने राष्ट्रपति बनने पर उनके द्वारा किए जाने वाले काम को अच्छा बताया है, जबकि 29 फीसदी का कहना है कि वह सही तरीके से इसका संचालन नहीं कर पाएंगी। हालांकि अमेरिकियों ने वाशिंगटन में सरकार चलाने के तौर-तरीकों और आय तथा धन के वितरण से संबंधित कार्य के लिए हिलेरी पर बहुत अधिक भरोसा नहीं जताया है।

हिलेरी राष्ट्रपति के रूप में विभन्न मुद्दों का निपटारा कैसे करेंगी, इस पर रिपब्लिकन, निर्दलीय और डेमोक्रेट सदस्यों में भी अलग-अलग राय है। डेमोक्रेट जहां हिलेरी से विभिन्न क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं, वहीं रिपब्लिकन सदस्यों ने उनका प्रदर्शन खराब रहने की बात कही है, जबकि निर्दलीयों ने इस पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। गैलप का यह सर्वेक्षण टेलीफोन पर लिए गए साक्षात्कार पर आधारित है, जिस दौरान छह तथा सात मई को 1,016 वयस्कों की राय ली गई।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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