अन्तर्राष्ट्रीय
सुरक्षा परिषद में यूक्रेन संकट पर प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन संकट के समाधान से संबंधित संघर्ष विराम को लागू करने के कदमों पर आधारित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया। सुरक्षा परिषद ने इस बात पर भी जोर दिया कि पूर्वी यूक्रेन के हालात का समाधान शांतिपूर्ण समझौते से ही संभव हो सकता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, रूस की ओर से पेश प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद ने मंगलवार को कहा कि यह यूक्रेन की संप्रभुता, आजादी और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा आदर करता है। सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों ने ‘पैकेज ऑफ मेजर्स फॉर द इम्प्लीमेंटशन आफ द मिंस्क एग्रीमेंट्स’ पारित किया, जिसे 12 फरवरी को बेलारूस की राजधानी मिंस्क में स्वीकृति दी गई थी।
परिषद की ओर से यूक्रेन मसले पर प्रेस को बयान जारी करने के कुछ देर बाद ही प्रस्ताव पारित हो गया, जिसमें सभी पक्षों से तत्काल संघर्ष समाप्त करने की अपील की गई है। यूक्रेन में फरवरी 2014 से हालात तब बिगड़ने शुरू हुए थे, जब आंतरिक राजनीतिक संकट कुछ स्थानों पर हिंसा के रूप में तब्दील हो गया था और धीरे-धीरे पूरे पूर्वी यूक्रेन में संकट गहरा गया था। इससे पहले मिंस्क में संघर्ष विराम को लेकर हुए समझौते के बावजूद यूक्रेन में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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