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व्यापम घोटाला : परीक्षा प्रक्रिया का कभी आडिट नहीं हुआ

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व्यापम घोटाला, परीक्षा प्रक्रिया, कभी आडिट नहीं, व्हिसलब्लोअर अजय दुबे, आरटीआई आवेदन

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नई दिल्ली| मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाला इन दिनों चर्चा में है। व्यापमं का गठन 1970 में हुआ था, और तब से अब तक इसके गोपनीय खाते का कभी भी आडिट नहीं हुआ। यह खुलासा आरटीआई के जरिए प्राप्त जानकारी से हुआ है। बोर्ड का गोपनीय खाता यानी पूरी परीक्षा प्रक्रिया का विवरण, यानी किस तरह परीक्षा आयोजित की जाती है, कौन प्रश्न पत्र तैयार करेगा, कहां प्रश्न पत्र प्रिंट होंगे, उनकी ढुलाई लागत और ओएमआर (ऑप्टिकल मार्क रिकॉगनिशन) शीट्स के मूल्यांकन के लिए किन-किन विशेषज्ञों को नियुक्त किया जाएगा, और प्रश्न पत्र तैयार करने वालों, विशेषज्ञों और प्रिंटिंग प्रेस को किए गए भुगतान। बोर्ड के गोपनीय खाते के बारे में केवल बोर्ड चेयरमैन और परीक्षा नियंत्रक को ही जानकारी होती है।

व्हिसलब्लोअर अजय दुबे को आरटीआई आवेदन के जवाब में प्राप्त जानकारी से पता चला है कि लोकल फंड ऑडिट के उपनिदेशक और आयुक्त के बीच पत्राचार से पता चलता है कि उनकी नियम पुस्तिका में बोर्ड के गोपनीय खाते के ऑडिट का कोई जिक्र नहीं है।

दुबे ने कहा, “बोर्ड प्रति वर्ष 40-50 परीक्षाएं आयोजित करता है, जिनमें करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। यद्यपि बोर्ड की बाहरी गतिविधियों का ऑडिट हुआ था, लेकिन बोर्ड के गोपनीय खाते का ऑडिट कभी नहीं हुआ। हमने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि गोपनीय खाते की ऑडिट कराई जाए।” स्थानीय निधि लेखा परीक्षा निदेशालय से प्राप्त एक अन्य आरटीआई जवाब से पता चला है कि 2008 में स्ट्रांग रूम में ओएमआर शीट्स के रिकार्ड तैयार करने में भारी अनियमितता हुई थी।

दुबे ने कहा, “स्ट्रांग रूम का संचालन गिरोहबाजों ने हाईजैक कर लिया था और वही इसकी देख-रेख कर रहे थे। इसके कारण कुप्रबंधन हुआ और स्ट्रांग रूम की विश्वसनीयता के साथ समझौता किया गया। ओएमआर शीट की आपूर्ति स्थिति, बिल संख्या और चालान संख्या से संबंधित आकड़ें सही तरीके से नहीं दर्ज किए गए।”

व्यापमं, राज्य में सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति की परीक्षाएं आयोजित करता है और मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है। व्यापमं वर्षो से विवादों में है, लेकिन घोटाला उस समय प्रकाश में आया, जब 2013 में 20 व्यक्ति गिरफ्तार किए गए, जो 2009 की मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में नकली परीक्षार्थी के रूप में बैठे थे।

रपटों के अनुसार, इस घोटाले में मध्य प्रदेश के राजनीतिज्ञ, वरिष्ठ अधिकारी और व्यवसायी संलिप्त हैं और यह घोटाला 20,000 करोड़ रुपये का हो सकता है और इसमें लगभग 30,000 लोग संलिप्त हैं। व्यापमं घोटाले से संबंधित 45 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें से अधिकांश मौतें अप्राकृतिक या रहस्यमय स्थितियों में हुई हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की जांच हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी। सीबीआई ने शुक्रवार को पांच प्राथमिकी दर्ज की। इसमें से एक प्राथमिकी नम्रता डामोर की रहस्यमय मौत से संबंधित है, जिसे अभी तक एक हादसा माना जा रहा था, लेकिन सीबीआई ने इसे हत्या का एक मामला माना है।

नेशनल

दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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