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व्यापम केस से हमारा सिर शर्म से झुक गया: शांता कुमार

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नई दिल्ली। व्यापम घोटाले को लेकर सत्ता,रूढ़ भारतीय जनता पार्टी में भी अब तीखे मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। आलाकमान किसी से इस्तीफा न लेने का फैसला कर चुका है, लेकिन पार्टी के कुछ नेता इससे नाराज बताए जा रहे हैं। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सांसद शांता कुमार ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को इस बारे में चिट्ठी लिखी है। उन्होंने लिखा है कि व्यापम घोटाले से एनडीए सरकार की छवि को धक्का लगा है और ‘हम सब का सिर शर्म से झुक गया है।’

शांता कुमार ने वसुंधरा राजे या पंकजा मुंडे का नाम लिए बिना राजस्थान और महाराष्ट्र की घटनाओं का भी जिक्र किया और सरकार में शामिल नेताओं पर निगरानी के लिए लोकपाल की तर्ज पर एक ‘आचार समिति’ बनाने की मांग की।

‘निराश-हताश होना स्वाभाविक’
उन्होंने चिट्ठी में लिखा है, ‘आज अखबार और समाचार चैनल जिस तरह की कहानियां लिख रहे हैं, सुना रहे हैं, उससे किसी भी भारतीय का निराश-हताश होना स्वाभाविक है। भाजपा का कार्यकर्ता तो सिर झुकाकर चल रहा है।’ उन्होंने लिखा, ‘बड़ी शान से हमारी सरकार बनी। पहला साल पूरे होने पर हम अपनी उपलब्धियों का जश्न मना ही रहे थे कि अचानक एक ग्रहण सा लग गया। राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक हम पर उंगलियां उठने लगीं।’

CBI के हवाले है जांच
गौरतलब है कि व्यापम घोटाला केस से जुड़े लोगों की सिलसिलेवार मौतों के बाद मामले ने जोर पकड़ा। 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने व्यापम की भर्तियों, इससे जुड़े आपराधिक मामलों और कम से कम 25 आरोपियों की संदिग्ध मौत के सीबीआई जांच के आदेश दिए। मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में कई बीजेपी नेताओं समेत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दामन पर भी आरोपों के छींटे हैं।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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