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मनोरंजन

लोकप्रिय पुरस्कारों पर बी-टाउन के बोल

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लोकप्रिय पुरस्कारों पर बी-टाउन के बोल मुंबई | दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर ने हाल ही में खुलासा किया है कि उन्होंने एक समय सर्वo्रेष्ठ अभिनेता का खिताब 30,000 रुपये में खरीदा था। इसके बाद राखी, गुलजार, सुभाष घई, तापसी पन्नू और प्रसून जोशी जैसे बॉलीवुड हस्तियों ने लोकप्रिय फिल्म पुरस्कारों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

राखी ने कहा, “जब मुझे बताया गया कि मुझे फिल्म ‘बेईमान’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए पुरस्कार मिल रहा है, तो मैंने कहा कि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकती। पहले उन्होंने मुझे फिल्म ‘शर्मीली’ के लिए पुरस्कार देने से मना कर दिया था, जिसमें मैंने सोचा था कि मेरा प्रदर्शन सराहनीय है।”

उन्होंने कहा, “उन्होंने फिल्म ‘कटी पतंग’ के लिए आशा पारेख को पुरस्कार दिया। हैरानी की बात है कि फिल्म ‘शर्मीली’ के संगीत के लिए सचिन देव बर्मन को सर्वo्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार नहीं दिया गया।”

तापसी पन्नू ने कहा, “मेरे लिए पुरस्कार अद्भुत टेलीविजन कार्यक्रम है। ये पुरस्कार आपके कमरे की अलमारियों पर अच्छे लगते हैं।”

तिलोत्तमा शोम ने कहा, “मैं लोकप्रिय पुरस्कारों के बारे में नहीं जानती, क्योंकि कभी मेरा किसी पुरस्कार के लिए नामांकन नहीं हुआ। यदि मैं कोई पुरस्कार जीतती हूं तो इसे अद्भुत बिरादरी के हिस्से के रूप में स्वीकार करूंगी।”

परेश रावल का कहना है, “लोकप्रिय पुरस्कार बेकार हैं। ये बड़ी मार्केटिंग कार्यक्रमों के आयोजन हैं, जिनका कोई अस्तित्व नहीं है। इसकी सबसे बड़ी भूल मेरी फिल्म ‘ओ माय गॉड’ थी, जिसे लोकप्रिय पुरस्कारों में एक भी नामांकन नहीं मिला।”

सुभाष घई ने कहा, “लोकप्रिय पुरस्कार लंबे समय से अपनी विश्वसनीयता खो रहे हैं। फिल्मफेयर पहला पुरस्कार था, जो एक गुटका ब्रांड के साथ मिलकर व्यावसायिक हो गया। हालांकि ऑस्कर ने अभी प्रमाणिकता बनाए रखी है। मैं पुरस्कार समारोहों में तभी उत्साहित होता हूं, जब सर्वo्रेष्ठ नवोदित कलाकार को पुरस्कार मिलता है। इसका मतलब नई प्रतिभा सामने आ रही है।”

सौरभ शुक्ला ने कहा, “यहां कई सारे पुरस्कार हैं। किसी भी चीज की अधिकता से बोरियत होने लगती है। यदि आप साल में सात बार होली खेलो, तो फिर होली के लिए कोई उत्साह नहीं रहेगा। पुरस्कार प्रतिभाओं का त्योहार है।”

सतीश कौशिक का कहना है, “पुरस्कार समारोह रियलिटी शो बन गए हैं। मैं उन दिनों को याद करता हूं जब इंडस्ट्री में केवल एक फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह होता था और पूरी इंडस्ट्री उसका इंतजार करती थी।”

प्रसून जोशी ने कहा, “पुरस्कार समारोह टेलीविजन समारोह जैसे हो गए हैं। इसे दर्शकों के मनोरंजन के हिसाब से बनाया जाता है। हालांकि मुझे लगता है कि राष्ट्रीय पुरस्कार इससे अलग है। यह मार्केटिंग टूल नहीं है।”

प्रादेशिक

बिहार के भागलपुर में भोजपुरी एक्ट्रेस का फंदे से लटकता मिला शव, वाट्सएप पर लगाया था ऐसा स्टेटस

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भागलपुर। बिहार के भागलपुर में भोजपुरी एक्ट्रेस अन्नपूर्णा उर्फ अमृता पांडेय की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई मरने से पहले अमृता पांडे ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लिखा है कि दो नाव पर सवार है उसकी जिंदगी…हमने अपनी नाव डूबा कर उसकी राह को आसान कर दिया। अमृता के इस स्टेटस से कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने सुसाइड किया है। हालांकि पुलिस अभी इस मामले पर कुछ भी बोलने से बच रही है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असली कारणों का पता चलेगा।

परिवार वालों ने बताया कि करीब 3.30 बजे अमृता की बहन उसके कमरे में गई। वहां वह फंदे से लटकी हुई थी। आनन फानन में उसके फंदे से चाकू से काट​कर तत्काल परिवार वाले स्थानीय निजी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां उसे मृत बता दिया गया। परिजनों ने बताया कि शुक्रवार की रात उन लोगों ने काफी मस्ती की थी। फिर अचानक से क्या हुआ। किसी को समझ नहीं आ रहा। परिजनों ने बताया कि अमृता की शादी 2022 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी चंद्रमणि झांगड़ के साथ हुई थी। वे मुंबई में एनिमेशन इंजीनियर हैं। अब तक उन लोगों को बच्चे नहीं हैं।

अमृता ने मशहूर भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव समेत कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया है. साथ ही कई सीरियल, वेब सीरज और विज्ञापन में भी काम किया है। बहन के मुताबिक, अमृता कैरियर को लेकर काफी परेशान रहती थी। वह काफी डिप्रेशन में थी। इस वजह से वह इलाज भी करा रही थी। अमृता भोजपुरी फिल्मों के अलावा कुछ वेब सीरीज में काम में रही थी. हाल ही में अमृता की हॉरर वेब सीरीज प्रतिशोध का पहला भाग रीलिज हुआ है।

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