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राजपथ पर मार्च करेगा संपूर्ण महिला दस्ता

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नई दिल्ली। भारत अपने सशस्त्र बलों में ‘नारी शक्ति’ को प्रदर्शित करने के लिए कमर कस चुका है। इसी कड़ी में 26 जनवरी को आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने जा रहे संपूर्ण महिला दस्ते का नेतृत्व करने वाली अधिकारियों को उम्मीद है कि राजपथ पर उनकी कदम चाल से और भी महिलाएं वर्दी पहनने के लिए प्रेरित हो सकेंगी।

सेना की वायु रक्षा कोर की कैप्टन दिव्या अजित परेड में शामिल हो रहीं 154 महिला अधिकारियों और कैडेटों के दस्ते की अगुवाई करेंगी। इस बार के गणतंत्र दिवस परेड में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि होंगे। राजपथ पर चरम पर चल रहे अभ्यास परेड में शामिल कैप्टन अजित (25) ने कहा कि यह वास्तव में एक सम्मान है और संभवत: जीवन में मिले बड़े अवसरों में से एक है।  महिला अधिकारियों ने यूं तो पूर्व में भी गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया था, लेकिन इस बार यह पहला मौका है जब सशस्त्र बलों से संपूर्ण महिला दस्ता राजपथ पर मार्च करेगा।

उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि हमें वर्दी में मार्च करते देख कई महिलाएं सैन्य बलों में शामिल होकर देश की सेवा करने के लिए प्रेरित होंगी। कैप्टन अजित चेन्नई में स्थित प्रतिष्ठित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटा) से 2010 में स्नातक हैं। सेना में वह पहली महिला हैं जिन्हें तलवार सौंप कर सम्मानित किया जा चुका है। यह सम्मान प्रशिक्षण में सबसे बेहतर कैडेट साबित होने पर दिया जाता है। उस वर्ष 63 महिलाओं सहित कुल 244 कैडेट ओटा से पास हुए थे। कैप्टन अजित वर्ष 2008 के गणतंत्र दिवस परेड में सबसे बेहतर एनसीसी कैडेड मानी गई थीं। संपूर्ण महिलाओं एक सैन्यदल तैयार करने की प्रक्रिया बहुत आसान नहीं थी। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि देश भर से करीब 200 महिलाएं ओटा पहुंची थीं और कड़ी चयन प्रक्रिया के बाद 126 अधिकारी और अकादमी से 28 महिला कैडेट का परेड के लिए चुनाव किया गया। कैप्टन अजित ने कहा, “चीजें तेजी से बदल रही है। सेना में महिलाओं की भूमिका और ताकत बढ़ रही है।” सेना की नर्सिग सेवा में महिलाएं 1927 में शामिल की गई और चिकित्सा अधिकारी कैडरों के रूप में 1943 में ली जाने लगी। वर्ष 1992 में महिलाएं शार्ट सर्विस कमीशन के तौर पर सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए समर्थ बनी।

वर्ष 2008 में सरकार ने शार्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने का फैसला लिया। सेना के तीनों अंगों के उस हिस्से में जिसका दुश्मन के साथ सीधे मुकाबला या शारीरिक संपर्क की संभावना नहीं थी वहीं स्थायी कमीशन प्रदान किया गया था। वायुसेना में इस समय सबसे ज्यादा 1350 और सेना में 1300, जबकि नौसेना में 350 महिला अधिकारी सेवारत हैं।

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दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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