Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

रक्षा मंत्री के समक्ष आई बड़ी चुनौती, भेदभाव व अन्याय’ की शिकायत लेकर आर्मी ऑफिसर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

Published

on

Loading

नई दिल्‍ली।  रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पद संभालते ही उनके समक्ष नई चुनौतियों ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है। प्रमोशन में कथित ‘भेदभाव व अन्‍याय’ की शिकायत के साथ अधिकारी व आर्मी के 100 से भी ज्‍यादा लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे है।

आर्मी के अफसरों द्वारा दायर की गयी याचिका में कहा गया है, ‘सेना और केंद्र सरकार के इस कृत्य (प्रमोशन में भेदभाव) से याचिकाकर्ताओं के प्रति अन्‍याय हुआ है, इससे अफसरों के मनोबल पर असर पड़ा है, इससे देश की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है।’

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि, जब तक प्रमोशन में समानता न लाई जाए तब तक सर्विसेज कोर के अफसरों को कॉम्बैट ऑर्म्स के साथ तैनात न किया जाए।

लेफ्टिनेंट कर्नल पी. के. चौधरी के नेतृत्‍व में अपने संयुक्त याचिका में अफसरों ने कहा है कि सर्विसेज कोर के अफसरों को ऑपरेशनल क्षेत्र में तैनात किया गया है। कॉम्बैट ऑर्म्स कोर के अफसरों को भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अपनी वकील नीला गोखले के जरिए यह सवाल किया है कि ‘कॉम्बैट ऑर्म्स के अफसरों को जिस तरह का प्रमोशन दिया जा रहा है, उससे उन्हें क्यों वंचित किया जा रहा है।

याचिका में कहा गया है, ‘सेना और सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है। ऑपरेशन एरियाज में तैनाती के वक्त तो सर्विसेज कोर के अफसरों को ‘ऑपरेशनल’ के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन जब बात प्रमोशन की आती है तो उन्हें ‘नॉन-ऑपरेशनल’ मान लिया जाता है। यह याचियों और दूसरे मिड-लेवल आर्मी अफसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।’

उन्होने अदालत से मांग की है कि सिग्नल्स जैसे दूसरे कोर के अफसरों को तैनाती के वक्त ‘ऑपरेशनल’ जैसा माना जा रहा है। ऑपरेशनल एरियाज में तैनाती के बाद वे उन सभी कामों को करते हैं जिन्हें ऑपरेशनल कोर के अफसर करते हैं, ऐसे में उनके साथ भेदभाव क्यों हो रहा है।

वो सेना और भारत सरकार को आदेश दे कि कॉम्बैट सर्विसेज भारतीय सेना की अभिन्न और सक्रिय अंग हैं और उन्हें नियमित सेना के समान ही सुविधाएं मिलनी चाहिए, अन्यथा सरकार और सेना आपद स्थिति को छोड़कर ‘सक्रिय इलाकों’ में सर्विसेज कॉर्प्स की तैनाती न किया करें।

याचियों ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि वह सरकार और सेना को आदेश दे कि कॉम्बैट सर्विसेज को भी सेना के दूसरे रेगुलर कोर की तरह ही देखा जाए।

 

नेशनल

भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

Published

on

Loading

एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

Continue Reading

Trending