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भारतीय रक्षा व्यवस्था पर दशक लंबी साइबर जासूसी

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न्यूयार्क| भारत के रक्षा, व्यापार और मीडिया अभियानों को निशाना बनाकर करीब एक दशक से साइबर जासूसी की जा रही है, जिस जासूसी अभियान के चीन से जुड़े होने की संभावना है। इस जासूसी के लिए लक्षित दस्तावेजों और ईमेल में खराब सॉफ्टवेयर को छुपाकर इस्तेमाल किया गया है। यह जानकारी सिलिकॉन वैली-स्थित साइबर सुरक्षा कंपनी ने दी है। फायरआई ने साइबर जासूसी से संबंधित अपनी रपट में रविवार को कहा, “दशक लंबे अभियान के तहत सरकारी और व्यावसायिक स्तर पर क्षेत्र की राजनीतिक, आर्थिक एवं सैन्य सूचना रखने वालों को लक्ष्य बनाया गया था।” रपट में कहा गया है कि जासूसी का केंद्र भारतीय रक्षा और सैन्य सामग्री थी। जासूसी में भारतीय विमानन कंपनियों और समुद्री निगरानी प्रक्रिया पर मुख्य ध्यान दिया गया था। फायरआई के अनुसार, जासूसी 2005 में शुरू हुई थी।

रपट के मुताबिक, “क्षेत्रीय लक्ष्यों और मिशन को निशाना बनकर किए गए स्थायी, नियोजित प्रयासों से ऐसा लगता है कि यह गतिविधि किसी देश द्वारा प्रायोजित है, जो कि संभवत: चीनी सरकार द्वारा किया गया है।” हालांकि, चीनी सरकार ने साइबर जासूसी के अभियान में अपनी संलिप्तता से इंकार किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने सोमवार को बीजिंग में कहा, “चीन सरकार दृढ़तापूर्ण हर प्रकार की हैकिंग का विरोध करता है। यह रवैया दृढ़ एवं स्पष्ट है।” हांग ने कहा, “हैकर हमला एक वैश्विक मुद्दा है, जिसमें एक-दूसरे पर आधारहीन आरोप लगाने से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रति सहयोगात्मक रवैया अपनाने की जरूरत है।”

साइबर खतरों को लेकर फायरआई एक मुख्य अंतर्राष्ट्रीय पहल है। इसने फरवरी में व्हाइट हाउस साइबर सिक्युरिटी एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन समिट में ग्लोबल थ्रेट इंटेलिजेंस शेयरिंग इनिशिएटिव की शुरुआत की थी। कार्यक्रम का लक्ष्य व्यवसायों और संस्थाओं को साइबर हमले से संबंधित सूचना साझा करना है। फायरआई के उपाध्यक्ष डैन मैक व्होर्टर के मुताबिक, “उन्नत खतरा समूह जैसे एपीटी30 दिखाता है कि सरकार प्रायोजित साइबर जासूसी विश्वभर की सरकारों और कॉरपोरेटों को प्रभावित करता है।” रपट में कहा गया है कि भारत के द्विपक्षीय संबंध में भी हैकरों की रुचि है और इसका एक निशाना 2012 में नई दिल्ली में आयोजित भारत-आसियान शिखर सम्मेलन भी था।

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भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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