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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना की घोषणा युद्धबंदियों पर कसेगा शिकंजा

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sheikh hasinaढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का कहना है कि 1971 के बंग मुक्ति संग्राम के दौरान युद्धबंदियों का सहयोग करने और उनका पुनर्वास करने वालों पर शिकंजा कसने का समय आ गया है। वेबसाइट ‘बीडीन्यूज 24’ के मुताबिक, हसीना ने 14 दिसंबर को शहीदों की याद में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही, लेकिन उन्होंने किसी तारीख का जिक्र नहीं किया।

उन्होंने कहा, जिन लोगों ने उन्हें आजादी का झंडा पकड़ाया, वे भी इस अपराध में सहभागी हैं। उनके साथ भी बांग्लादेश में युद्ध अपराधियों की तरह बर्ताव किया जाना चाहिए। हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में युद्ध अपराधों की सुनवाई जर्मनी में द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह ही जारी रहेगी।

शेख हसीना ने कहा, उन्हें कोई भी रणनीति या षड्यंत्र नहीं बचा पाएगा, क्योंकि यह न्याय का मार्ग है और सच्चाई व न्याय की ही हमेशा जीत होती है। बांग्लादेश की आजादी का विरोध कर रहे और उस दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने वाले संगठन जमात-ए-इस्लामी को 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद स्वतंत्र बांग्लादेश में राजनीति करने की अनुमति दे दी गई थी।

यह पुनस्र्थापना बांग्लादेश के प्रथम सैन्य शासक एवं बीएनपी के संस्थापक जियाउर रहमान के कार्यकाल में हुई थी। जनरल जिया की पत्नी खालिदा जिया के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों युद्ध अपराधी मोतीउर रहमान निजामी और अली अहसान मोहम्मद मुजाहिदीन को मंत्री बना दिया गया।

उस समय एक अन्य युद्ध अपराधी सलाहुद्दीन कादर चौधरी खालिदा के संसदीय मामलों के सलाहकार थे। अवामी लीग के 2009 में सत्ता में आने के बाद बहुप्रतीक्षित अपराधों की सुनवाई शुरू हो गई थी। निजामी, मुजाहिद, चौधरी और तीन अन्य युद्ध अपराधियों को फांसी पर लटकाया जा चुका है।

निजामी को मृत्युदंड की सजा सुनाने के दौरान अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्राब्यूनल ने कहा था कि निजामी को मंत्री पद देना लाखों शहीदों के मुंह पर थप्पड़ की तरह था। हसीना ने कहा था कि युद्ध अपराधियों को शरण देने, उनके राजनीतिक अधिकारों को बहाल करने और लाखों शहीदों के खून से सने झंडे को उन्हें थमाने जैसे अपराधों के लिए वे समान रूप से जिम्मेदार हैं।

शेख हसीना ने कहा, मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि लोगों को आवाज उठानी चाहिए। गौरतलब है कि 14 दिसंबर 1971 की रात को 200 से अधिक बुद्धिजीवियों को पाकिस्तानी की फौज ने अगवा कर लिया था। इसमें प्रोफेसर, पत्रकार, चिकित्सक, कलाकार, इंजीनियर और लेखक शामिल हैं।

इन्हें शहर की विभिन्न जेलों में रखकर यातनाएं दी गईं और सामूहिक रूप से हत्या कर दी गई। बांग्लादोश ने 6 दिसंबर, 1971 को भारत की मदद से पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्रता हासिल की थी।

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पाकिस्तान ने IMF के आगे फिर फैलाए हाथ, की नए लोन की डिमांड

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने आईएमएफ के सामने एक बार फिर भीख का कटोरा आगे कर दिया है। पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ ने आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से मुलाकात कर उनसे नए ऋण कार्यक्रम पर चर्चा की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा कि पीएम शहबाज की मुलाकात रियाद में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मौके पर हुई।

रियाद में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक बैठक से इतर शरीफ ने तीन अरब अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त व्यवस्था (एसबीए) हासिल करने में पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा का शुक्रिया अदा किया। पाकिस्तान ने पिछले साल जून में तीन अरब अमेरिकी डॉलर का आईएमएफ कार्यक्रम हासिल किया था। पाकिस्तान मौजूदा एसबीए के इस महीने समाप्त होने के बाद एक नई दीर्घकालिक विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) की मांग कर रहा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के नुसार, “दोनों पक्षों ने पाकिस्तान के लिए एक अन्य आईएमएफ कार्यक्रम पर भी चर्चा की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिछले वर्ष से हासिल लाभ समेकित हो और आर्थिक वृद्धि सकारात्मक बनी रही।’’ शरीफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा कि इस्लामाबाद जुलाई की शुरुआत तक नए कार्यक्रम पर कर्मचारी स्तर का समझौता हासिल कर सकता है। यदि पाकिस्तान को यह मदद मिल गई तो उसको आईएमएफ की ओर से यह 24वीं सहायता होगी।

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