Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

नारी शक्ति का अद्वितीय उदाहरण हैं अरुणिमा

Published

on

Loading

नई दिल्ली| उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर अंबेडकर नगर की अरुणिमा सिन्हा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं। एक पैर नकली होने के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी-एवरेस्ट को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला पर्वतारोही अरुणिमा परिस्थितियों को जीतकर उस मुकाम पर पहुंची हैं, जहां उन्होंने खुद को नारी शक्ति के अद्वितीय उदाहरण के तौर पर पेश किया है। भारत सरकार ने 2015 में उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान-पद्मश्री से नवाजा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणिमा की जीवनी-‘बॉर्न एगेन इन द माउंटेन’-का लोकार्पण किया। अरुणिमा उस महिला का नाम है, जिसने चार साल पहले एक रेल दुर्घटना में अपना सब कुछ खो दिया था लेकिन अपनी इच्छाशक्ति के दम पर जिसने खुद को सम्भाला और फिर से उसे या एक लिहाज से उससे बढ़कर हासिल कर लिया।

राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी रहीं अरुणिमा के लिए बीते चार साल का सफर मिश्रित भावनाओं से ओतप्रोत रहे हैं। 2011 में लखनऊ से दिल्ली आते वक्त लुटेरों ने अरुणिमा को रेलगाड़ी से नीचे फेंक दिया था। दूसरी पटरी पर आ रही रेलगाड़ी की चपेट में आने के कारण अरुणिमा का एक पैर कट गया था। इसके बाद अरुणिमा ने शासन और प्रशासन से तमाम लड़ाइयां लड़ीं और अपना हक लेकर रहीं। वैसे उन्होंने उस रेल दुर्घटना में जो खोया, उसे वह फिर से हासिल नहीं कर सकती थीं लेकिन अरुणिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक पर्वतारोही बनकर एवरेस्ट फतह करने की ठानी।

अरुणिमा को पता था कि अगर वह एक नकली पैर से एवरेस्ट फतह करने में सफल रहीं तो ऐसा करने वाली वह दुनिया की पहली महिला बन जाएंगी। अरुणिमा ने ऐसा खुद को साबित करने और साथ ही साथ यह भी साबित करने के लिए ठानी कि शारीरिक दुर्बलता किसी के मुकाम में राह में राेड़े नहीं आ सकती। अगर किसी में अपने लक्ष्य तक पहुंचने की ललक, मानसिक ताकत और इच्छाशक्ति है तो फिर कोई भी दुर्बलता उसे रोक नहीं सकती।

अरुणिमा कहती हैं मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि परिस्थितियां बदलती रहती हैं। पर हमें अपने लक्ष्य से भटकता नही चाहिए बल्कि उनका सम्मान और सामना करना चाहिए। जब मैं हॉकी स्टिक लेकर खेलने जाती तो मोहल्ले के लोग मुझ पर हंसते थे, मेरा मजाक उड़ाते थे। शादी हुई और फिर तलाक तब भी मैंने हार न मानी। बड़ी बहन व मेरी मां ने मेरा साथ दिया। हादसे के बाद मेरे जख्मों को कुरेदने वाले बहुत थे पर मरहम लगाने वाले बहुत कम। इतना कुछ होने के बाद मैंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। अन्तत: मुझे सफलता मिली। ट्रेन हादसे में मैंने अपना पैर गंवा दिया था। अस्पताल में बिस्तर पर बस पड़ी रहती थी। परिवार के सदस्य, मेरे अपने मुझे देखकर पूरा दिन रोते हमें सहानुभूति की भावना से अबला व बेचारी कहकर सम्बोधित करते। यह मुझे मंजूर न था। पर मुझे जीना था, कुछ करना था। मैंने मन ही मन कुछ अलग करने की ठानी जो औरों के लिए एक मिसाल बने।

अरुणिमा कहती हैं एम्स से छुट्टी मिलने के बाद दिल्ली की एक संस्था ने मुझे नकली पैर प्रदान किए। इसके बाद मैं नहीं रुकी। ट्रेन पकड़ी और सीधे जमशेदपुर पहुंच गई। वहां मैंने एवरेस्ट फतह कर चुकीं बछंद्री पाल से मुलाकात की। पाल ने मुझे अपनी शिष्या बनाने का फैसला किया। फिर तो मानो मुझे पर लग गए। उसके बाद मुझे लगने लगा कि अब मेरा सपना पूरा हो जाएगा। पाल की देखरेख में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 31 मार्च को अरुणिमा का मिशन एवरेस्ट शुरू हुआ। 52 दिनों की चढ़ाई में 21 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर वह विश्व की पहली विकलांग महिला पर्वतारोही बन गईं। अरुणिमा कहती हैं विकलांगता व्यक्ति की सोच में होती है। हर किसी के जीवन में पहाड़ से ऊंची कठिनाइयां आती हैं| जिस दिन वह अपनी कमजोरियों को ताकत बनाना शुरू करेगा हर ऊंचाई बौनी हो जाएगी। मैं एवरेस्ट की चोटी पर चढ़कर खूब रोई थी लेकिन मेरे आंसूओं के अधिकांश अंश खुशी के थे। दुख को मैंने पीछे छोड़ दिया था और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी से जिंदगी को नए अंदाज से देख रही थी।

 

नेशनल

जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा

Published

on

Loading

नई दिल्‍ली। भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्‍या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।

जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।

Continue Reading

Trending