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प्रादेशिक

जैवविविधता पर केरल से सीखेगा तेलंगाना

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तिरुवनंतपुरम| समृद्ध जैवविविधता की रक्षा करने के केरल के प्रारूप को दोहराने वाला पहला राज्य यदि गोवा था तो अब इस दर्जे में आने वाला अगला राज्य तेलंगाना होने जा रहा है।

केरल देश का ऐसा एकमात्र राज्य है जिसने जैवविविधता प्रबंधन समिति (बीएमसी) का जैविक विविधता अधिनियम की जरूरत के हिसाब से सभी पंचायतों में गठन किया है और सभी स्थानीय निकायों में 75 प्रतिशत से अधिक जन जैवविविधता पंजियन (पीबीआर) स्थापित किया है।

इन उपलब्धियों के खाते में केरल राज्य जैवविविधता बोर्ड (केएसबीबी) अब अन्य राज्यों के लिए सामूहिक प्रयास से अपनी जैव विविधता के संरक्षण का सबक लेने का मुख्य स्रोत बन चुका है।

तेलंगाना राज्य जैवविविधता बोर्ड की सदस्य सचिव सी. सुवर्णा इस शहर में केएसबीबी के अधिकारियों से बातचीत करने आई हुई थीं। सुवर्णा की क्षेत्र का दौरा करने और जमीनी स्तर पर चुने गए प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने की योजना है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कुछ देखा, उससे अत्यंत उत्साहित हैं और अपने नवनिर्मित राज्य में इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सुवर्णा ने आईएएनएस से कहा, “आंध्र प्रदेश से विभाजित होने के बाद तेलंगाना में नवीन जैवविविधता बोर्ड एक मार्च से काम शुरू कर चुका है। अधिकारियों के द्वारा मुझे कहा गया है कि काम की तरफ कदम बढ़ाने का सबसे पहला काम केरल की यात्रा करना और अब तक हुए कार्यो का अध्ययन करना है। मेरा दौरा व्यापक रूप से सार्थक है और जरूरतों का अध्ययन करने के बाद लौट रही हूं।”

उनकी पहली जिम्मेदारी 3400 नए बीएमसी स्थापित करना है क्योंकि तेलंगाना में मात्र 600 स्थानीय निकाय मौजूद हैं।

बीएमसी एक वैधानिक निकाय है, जिसमें स्थानीय निर्वाचित सरकार के प्रतिनिधि और ग्राम परिषदों के विशषज्ञ शामिल होते हैं, जबकि क्षेत्र में मौजूद वनस्पतियों एवं जीवों की सूचि बनाता है और गांवों में प्रचलित पारंपरिक ज्ञानपरक बातों को एकत्रित करता है।

भारतीय वन सेवा की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कोष का आवंटन एक समस्या है, लेकिन मैं यहां के मौजूद पंचायती राज संस्थानों से कैसे कोष जुटाए गए इस पर केरल सरकार के ढेर सारे आदेशों और केएसबीबी के आदेशों का अध्ययन करके आई हूं। राज्य सरकार अकेले सारा कोष उपलब्ध नहीं करा सकती और जैवविविधता संरक्षण के लिए अन्य स्रोतों से कोष किस तरह जुटाए जा सकते हैं इसके बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी देने के लिए मुझे केरल प्रारूप से काफी जानकारी मिल चुकी है।”

 

उत्तर प्रदेश

नोएडा: गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी की पानी की टंकी में मिली महिला का लाश, पुलिस को पति पर हत्या का शक

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नोएडा उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के गौतमबुद्ध नगर विश्‍वविद्यालय की पानी की टंकी में एक महिला का शव मिलने से सनसनी फ़ैल गई है। मौके पर पहुंची पुलिस टीम जांच में जुटी हुई है। शुरुआती जानकारी से पता चला है कि महिला का पति फरार है, जो विश्‍वविद्यालय के बगल में ही बने सरकारी अस्पताल जिम्स का कर्मचारी बताया जा रहा है। पुलिस को संदेह है कि पति ने ही पत्नी को मौत के घाट उतारा है।

कोतवाली ईकोटेक-1 क्षेत्र के गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय परिसर में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के कर्मचारियों का स्टाफ क्वार्टर है। उसी में रहने वाले ड्राइवर की पत्नी का शव मिला है। सोमवार देर रात करीब 11 बजे के आस-पास बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर बनी सीमेंट की पानी की टंकी के अंदर मिला है। आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि दो महीने पहले ही दंपती यहां पर रहने के लिए आए थे। आशंका जताई जा रही है कि महिला की हत्या करने के बाद शव को पानी की टंकी में फेंक दिया गया। पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है।

एडिशनल पुलिस कमिश्नर (लॉ एंड आर्डर) शिवहरि मीणा ने बताया कि गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय की छत पर बने सीमेंटेड पानी के टैंक एक महिला का शव मिलने की सूचना प्राप्त हुई। महिला का पति विश्वविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। पड़ोसियों ने बताया कि रात में पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था। वे अक्सर आपस में झगड़ते रहते थे। महिला का पति मौके से फरार है।

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