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आपात स्थिति में भी इस राज्य में नहीं लगाया जा सकता राष्ट्रपति शासन, जानिए क्यों

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जब किसी राज्य में राजनीतिक हालात बिगड़ती हैं और नौबत यहां तक आ जाती है कि सरकार गिर जाए तो ऐसे में उस राज्य की जिम्मेदारी राष्ट्रपति के ऊपर आ जाती है। उस राज्य में तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है। लेकिन अब जो हम बात बताने जा रहे हैं वह आपके लिए बिल्कुल भी नए तरह की जानकारी होगी।

दरअसल हमारे देश मे जम्मू कश्मीर एक ऐसा राज्य है जहां राजनीतिक हालात बिगड़ने और किसी भी पार्टी की सरकार न रहने की दशा में राष्ट्रपति नहीं बल्कि राज्यपाल शासन लगाया जाता है। आज जम्मू कश्मीर का जिक्र इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि इस वक़्त जम्मू में राजनीतिक माहौल काफी गरम है।

गौरतलब है कि भाजपा ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया है और वहां राज्यपाल शासन की संस्तुति हो गयी है। आखिर क्यों होता है ऐसा और क्या है इसके पीछे की वजह आइये विस्तार से जानते हैं इस पूरे मामले को –

अपने संविधान की धारा 92 के तहत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति नहीं राज्यपाल शासन लगाया जाता है। उसका कारण है, भारत का संविधान जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता है। जम्मू-कश्मीर देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके पास अलग संविधान और नियम हैं। देश के अन्य राज्यों में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है। लेकिन कश्मीर में ऐसा नहीं है।

जम्मू-कश्मीर की धारा 370 के मुताबिक – कश्मीर नागरिकों को यहाँ पर देश के अन्य राज्यों के नागरिकों से अलग कुछ विशेष हक़ दिए जाते है, ऐसा इसलिए क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद घाटी कश्मीर को लेकर हुए युद्ध के बाद यहाँ पर हालात काफी ज्यादा बिगड़ गए थे। जिसके कारण कश्मीर अभी भी दोनों देशों के लिए एक बड़े विवाद का कारण बना हुआ हैं।

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जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, मुठभेड़ में दो आतंकियों को किया ढेर

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बारामूला। जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर में शुक्रवार को सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच चल रही गोलीबारी में दो आतंकवादी मारे गए, जबकि एक नागरिक और दो सैनिक घायल हो गए। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक लश्कर का डिवीजनल कमांडर उस्मान और आतंक का पर्याय बने लश्कर के मुखौटा संगठन टीआरएफ के कमांडर बासित डार के फंसे होने की संभावना है। रात 12:30 बजे आतंकियों ने घेरा तोड़ भागने का प्रयास किया और उसके बाद दोनों ओर से गोलाबारी शुरू हुई है। बीते 48 घंटे में उत्तरी कश्मीर में आतंकियों व सुरक्षाबल के बीच दूसरी मुठभेड़ है।

इससे पूर्व मंगलवार को बांडीपोरा के रेंजी अरागाम में मुठभेड़ में भी दो सैन्यकर्मी घायल हुए थे। पुलिस को गुरुवार दोपहर बाद पता चला कि स्वचालित हथियारों से लैस दो-तीन आतंकी सोपोर में किसी जगह अपने संपर्क सूत्र से मिलने आए हैं। ये आतंकी चुनाव के दौरान किसी वारदात को अंजाम देने का षड्यंत्र रच रहे हैं। सूचना पर पुलिस ने सोपोर और उसके साथ सटे इलाकों में मुखबिरों को सक्रिय किया। शाम सात बजे के करीब जब सुरक्षाबल तलाशी लेते हुए चक मोहल्ले में आगे बढ़ रहे तो मस्जिद से कुछ ही दूरी पर स्थित एक मकान में छिपे आतंकियों ने उन पर फायरिंग करते हुए भागने का प्रयास किया।

जवानों ने जवाबी फायर कर आतंकियों को मुठभेड़ में उलझा लिया। जवानों ने आतंकियों की गोलीबारी के बीच ही आसपास के मकानों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। दावा किया जा रहा है कि इस दौरान फारूक अहमद नामक एक स्थानीय नागरिक के कंधे पर गोली लगी, जिससे वह जख्मी हो गया। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वह एक लैब टैक्निशियन है। इस भिड़ंत में सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया है

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