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जयललिता की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कर्नाटक

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नई दिल्ली। कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता, उनकी सहयोगी शशिकला नटराजन एवं दो अन्य को आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जयललिता, शशिकला एवं अन्य को बरी किए जाने के कर्नाटक हाईकोर्ट के 11 मई के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।

कर्नाटक सरकार ने अपनी याचिका में कहा, “तत्काल निष्पक्ष अंतरिम आदेश जारी कर 11 मई को सुनाए गए अंतिम फैसले पर रोक लगाई जाए।” कर्नाटक सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय (कर्नाटक) ने जयललिता, उनके सहयोगी और उनसे जुड़ी कंपनियों द्वारा लिए गए 241,731,274 रुपये के ऋण के आंकलन में भारी भूल की है, जबकि कुल 10 ऋण के तहत 106,731,274 रुपये का कर्ज लिया गया है। हिसाब में हुई इस भारी भूल की वजह से उच्च न्यायालय ने 8.12 फीसदी आय से अधिक संपत्ति का हिसाब लगाया, जबकि यह 76.7 फीसदी है। कर्नाटक सरकार ने याचिका में कहा कि जयललिता को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराने के निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय द्वारा पलट दिया जाना ‘न्याय की हत्या’ है। याचिका में कहा गया है कि इस भूल की वजह से जयललिता, शशिकला, वी. एन. सुधाकरन और जे. इलावारसी गंभीर आरोपों से बरी हो गए। कर्नाटक सरकार ने याचिका में सवाल उठाया है कि क्या कर्नाटक को प्रतिवादी बनाए बगैर जयललिता का निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में जाना उचित है।

कर्नाटक सरकार ने तर्क दिया कि जयललिता और बरी किए गए अन्य लोगों ने मामले में कर्नाटक सरकार को प्रतिवादी के रूप में शामिल नहीं किया, इसलिए वे अपना पक्ष रखने के लिए सरकारी अधिवक्ता की नियुक्ति नहीं कर सकते थे। उल्लेखनीय है कि बेंगलुरू की निचली अदालत ने 27 सितंबर को जयललिता को आय से अधिक संपत्ति और अज्ञात स्रोतों से आय के मामले में चार वर्ष जेल की सजा सुनाई थी और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। यह मामला 1991 से लेकर 1996 के बीच जयललिता के मुख्यमंत्रित्व काल का है।

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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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