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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन के शिक्षा मंत्रालय पर छात्रा ने ठोका मुकदमा

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बीजिंग। चीन की एक कॉलेज छात्रा ने पाठ्यपुस्तकों में समलैंगिकता को मानसिक विकार बताए जाने को लेकर शिक्षा मंत्रालय पर मुकदमा दायर किया है।

दक्षिण चीन के गुआंग्डोंग प्रांत की एक कॉलेज छात्रा किउ बाई (काल्पनिक नाम) ने शिक्षा मंत्रालय के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।

छात्रा अपनी व्यक्तिगत जानकारी उजागर नहीं करना चाहती है।

किउ ने जब पुस्तकालय में मौजूद किताबों के जरिए अपनी यौन इच्छाओं से जुड़े संदेहों को स्पष्ट चाहा तो उसे पता चला कि लगभग हर किताब में समलैंगिकता को एक मानसिक विकार के रूप में बताया गया है। कुछ किताबों में तो समलैंगिकता को ठीक करने के लिए इलेक्ट्रोशॉक थेरेपी के इस्तेमाल की बात कही गई है।

किउ ने 14 मई को शिक्षा मंत्रालय (एमओई) को एक पत्र लिखा, जिसमें उसने किताबों में इस तरह की सामग्री पर निगरानी रखने वाले नियमनों पर स्पष्टीकरण मांगा था।

किउ को मंत्रालय से निर्धारित 15 दिनों के भीतर कोई जवाब नहीं मिला, जिसके बाद उसने मंत्रालय पर मुकदमा कर दिया।

किउ का कहना है, “समलैंगिक लोग पहले से ही अत्यधिक तनाव में जीवनयापन करते हैं। पाठ्यपुस्तकों के जरिए उन पर इस तरह के अतिरिक्त कलंक से उन्हें सीधे तौर पर नुकसान होगा। शिक्षा मंत्रालय को इस तरह की सामग्री की जांच और इसकी निगरानी करनी चाहिए।”

बीजिंग नगरपालिका नंबर 1 इंटरमीडिएट पीपुल्स कोर्ट को किउ का आवेदन मिल गया है और आगे की प्रक्रिया लंबित है।

एक गैरसरकारी संगठन गे एंड लेस्बियन कैंपस एसोसिएशन की जांच के मुताबिक, साल 2001 के बाद प्रकाशित 90 पाठ्यपुस्तकों में से लगभग 40 प्रतिशत में समलैंगिकता को एक विकार बताया गया है। करीब आधी पाठ्यपुस्तकों में कहा गया है कि इस बीमारी का उपचार किया जा सकता है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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