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अन्तर्राष्ट्रीय

चीनी लकड़हारों को म्यांमार में क्षमादान, चीन ने किया स्वागत

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बीजिंग। म्यांमार ने गुरुवार को 6,966 कैदियों को क्षमादान दे दिया। इसमें चीन के 155 लकड़हारे भी शामिल हैं। चीन ने म्यांमार के इस कदम का स्वागत किया और कहा कि इस तरह के मामलों को कानून के दायरे में और समझदारी के साथ सुलझाया जाना चाहिए। म्यांमार स्थित चीनी दूतावास के मुताबिक, उत्तरी म्यांमार की एक जिला अदालत ने सार्वजनिक संपत्ति नष्ट करने के विरुद्ध बनाए गए 1963 के एक कानून का उल्लंघन करने के लिए पिछले बुधवार को चीन के 155 लकड़हारों को 10 से 35 साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद चीन ने म्यांमार के साथ आपत्ति दर्ज कराई थी।

चीन अपने पड़ोसियों को विदेश नीति की एक प्राथमिकता मानते हुए क्षेत्र के सामूहिक विकास हासिल करने के लिए वर्षो से प्रयासरत है। चीन अन्य देशों के कानूनों और नियमों का सम्मान करता है और अपने नागरिकों से हमेशा कहता है कि जब वे दूसरे देशों में हों तो वहां के कानूनों का उल्लंघन न करें।

उल्लेखनीय है कि इस साल के प्रारंभ में म्यांमार के संकटग्रस्त उत्तरी काचिन राज्य में इस वर्ष के प्रारंभ में शुरू हुई कार्रवाई के दौरान पेड़ों की अवैध कटाई के लिए गिरफ्तार किए गए चीनी नागरिक म्यांमार पहुंचने से पहले संभवत: इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनकी गतिविधिया गैरकानूनी थीं।

संभवत: उन्हें गैरकानूनी रूप से भ्रमित कर पेड़ों की कटाई के लिए म्यांमार लाया गया हो। लिहाजा उनपर लगाए गए आरोपों का एक-एक कर विश्लेषण किया जाना चाहिए।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हॉन्ग ली के मुताबिक, म्यांमार के राष्ट्रपति के क्षमादान के बाद 155 चीनी कामगारों को रिहा कर दिया गया है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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