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अयोध्या विवाद में बाहर समझौता असंभव, कोर्ट ही करे फैसला : जिलानी

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लखनऊ । अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अलग-अलग खेमों से विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

निर्मोही अखाड़ा के महन्त रामदास ने कहा कि अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली है। इसलिए वहां राम मन्दिर बनाने के लिए मुस्लिम अपना दावा छोड़ दें। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि ने कहा के विवाद का हल आपसी सहमति से ही हो सकता है। वह पहले से पहल कर भी रहे हैं। दूसरी ओर बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब ने भी कहा कि वह पहले से चाह रहे थे कि दोनों पक्ष बैठ कर बातचीत से ही मसले का समाधान निकाल लें। स्वामी चक्रपाणि की ओर भी सुप्रीम कोर्ट के सुझाव को सकारात्मक बताया गया है।

हालांकि वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से बाहर किसी भी तरह के समझौते को सही नहीं ठहराया है। बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने बयान दिया कि मामला कई सालों से कोर्ट में लम्बित है। आपसी समझौते से मसले का हल निकलना असंभव है। हमें कोर्ट का ही फैसला मंजूर होगा।

वहीं ऑल इण्डिया इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि याद रहे कि बाबरी मस्जिद का केस मालिकाना हक़ से जुडा हुआ था और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत फैसला देते हुए ज़मीन के बंटवारे का आदेश दिया था। इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि उनका सुझाव है कि पूरी भूमि राम मन्दिर को दी जाए और मस्जिद भी बने, लेकिन सरयू नदी के उस पार बने। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में यही चलन है, मस्जिद नमाज़ पढ़ने की जगह है और ये कहीं भी बन सकती है।

गौरतलब है कि राम मन्दिर से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह एक संवेदनशील और भावनात्मक मामला है। कोर्ट ने कहा कि संवेदनशील मसलों का आपसी सहमति से हल निकालना बेहतर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस विवाद का हल तलाश करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को नये सिरे से प्रयास करने चाहिए। इस मामले के याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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