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शिक्षा मद का 80 फीसदी खर्च शिक्षकों पर

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नई दिल्ली। देश में शिक्षा पर होने वाले कुल सरकारी खर्च में से 80 फीसदी हिस्सा सिर्फ शिक्षकों के वेतन, प्रशिक्षण और शिक्षा समग्रियों पर होता है। यह बात देश के छह राज्यों से संबंधित एक नई रिपोर्ट में कही गई है।

इतनी अधिक राशि इस मद पर खर्च होने के बाद भी भारतीय स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है और ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) समूह के अन्य देशों की तुलना में देश में शिक्षकों की कमी है और साक्षरता दर भी उन देशों से कम है।

एक थिंक टैंक ‘अकाउंटबिलिटी इनीशिएटिव’ द्वारा आयोजित योजना, आवंटन और खर्च, संस्थान : जवाबदेही का अध्ययन (पैसा) सम्मेलन-2015 के मुताबिक, शिक्षा पर खर्च होने वाली राशि का 80 फीसदी हिस्सा शिक्षकों पर और बच्चों, प्रबंधन तथा स्कूल में से प्रत्येक पर पांच फीसदी हिस्सा खर्च होता है।

पिछले 10 सालों में देश के छह राज्यों में शिक्षा पर खर्च हुए 5,86,085 करोड़ रुपये में से 80 फीसदी हिस्सा शिक्षकों और उनके प्रशिक्षण पर खर्च होने के बाद भी शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है, इससे यही स्पष्ट होता है कि नीति में कुछ बड़ी खामी है।

भौतिक ढांचे में विस्तार होने के बाद भी शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन जैसा कि महाराष्ट्र की स्थिति से स्पष्ट होता है, यदि 90 फीसदी प्राथमिक शिक्षक कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं, तो इसका मतलब यह है कि नियुक्ति और प्रशिक्षण की नीति गलत है।

पैसा के अध्ययन के मुताबिक, जिस राज्य में प्रति व्यक्ति आय अधिक थी, वहां शिक्षा पर सरकारी खर्च जीडीपी के अनुपात के रूप में कम था।

इस अध्ययन का एक अन्य निष्कर्ष यह रहा कि सरकारी और निजी दोनों ही स्कूलों में यद्यपि अधिक खर्च बेहतर शिक्षा में भूमिका निभाता है, फिर भी अधिक खर्च बेहतर शिक्षा की गारंटी नहीं है।

आंकड़ों से पता चलता है कि निजी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर था, जबकि प्रति विद्यार्थी खर्च सरकारी स्कूलों में अधिक था।

उल्लेखनीय है कि देश की 28.2 करोड़ आबादी निरक्षर है। प्राथमिक स्तर पर सबको दाखिला दिलाने वाली नीति के बाद भी माध्यमिक विद्यालय तक दाखिला 52.2 फीसदी रह जाता है। यानी, आधी से थोड़ी ही अधिक आबादी माध्यमिक शिक्षा ले पाती है।

भारत में साक्षरता दर 77 फीसदी है, जबकि ब्रिक्स के अन्य सभी देशों में यह दर 90 फीसदी से अधिक है। इन देशों में विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात भी बेहतर है।

इस तरह से भारत में एक तो शिक्षकों का स्तर काफी खराब है, दूसरे, शिक्षकों की संख्या भी कम है।

इसलिए इंडियास्पेंड इस बात पर लगातार जोर देता रहा है कि शिक्षा नीति में स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों को रोकने और शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

(एक गैर लाभकारी, जनहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड डॉट ओआरजी के साथ एक व्यवस्था के तहत। सौम्या तिवारी संस्थान में नीति विश्लेषक हैं। प्रस्तुत विचार उनके अपने हैं।)

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लखनऊ में स्वास्थ्य सेवा निर्माण में एक नई छलांग, अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण निर्माण इकाई की हुई स्थापना

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लखनऊ। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के तहत, Q-Line Biotech Pvt. Ltd. (POCT Group) ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण निर्माण सुविधा की स्थापना की है। यह पहल Boule Medical AB के साथ रणनीतिक तकनीकी सहयोग के रूप में की जा रही है।

Q-Line Biotech और Boule Medical AB मिलकर उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा उपकरण, रेजेंट्स और उपभोग्य सामग्रियों का उत्पादन कर रहे हैं। इस सहयोग का उद्देश्य है कि आम जनता को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से सस्ते और सुलभ डायग्नोस्टिक्स मिल सकें। 28 मई 2024 को, Boule Medical AB के वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें CEO एवं ग्रुप प्रेसिडेंट श्री टॉर्बन नीलसन और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, कमर्शियल ऑपरेशन्स श्री कियाराश फर शामिल थे, ने नई निर्माण इकाई का सत्यापन किया। उनके निरीक्षण ने पुष्टि की कि Q-Line की निर्माण इकाई अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।

नीलसन ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अपनी संतुष्टि व्यक्त की और भारतीय बाजार, विशेष रूप से हेमेटोलॉजी और संबंधित क्षेत्रों में इस सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस सहयोग को भारत में स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ और किफायती बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। Boule Medical AB ने Q-Line के “मेक इन इंडिया” पहल को समर्थन देने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।

यह सहयोग दोनों संगठनों की उत्कृष्टता और उच्च मानकों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह उत्तर प्रदेश सरकार के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है, जो इन्वेस्टर्स समिट-2023 के माध्यम से राज्य की औद्योगिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। Q-Line Biotech द्वारा 500 करोड़ रुपये के निवेश का संकल्प, जिसमें पहले चरण में 200 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है, इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

लखनऊ में इस नई निर्माण सुविधा की स्थापना से राज्य की आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। रोजगार के अवसर सृजित होंगे और क्षेत्रीय विकास में योगदान मिलेगा। यह पहल भारत के निर्माण क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और Q-Line Biotech Pvt. Ltd. इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

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