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शहादत मांग रही इंसाफ
संसद में विपक्ष में बैठकर ज्वलंत मुद्दों पर सरकार पर हमले करना और खुद सत्ता में आने पर उन्हीं मुद्दों पर पलट जाना ही शायद राजनीति है। केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार भी इससे अछूती नहीं है। कैप्टेन सौरभ कालिया की शहादत के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने जैसा रुख अपनाया है, उससे मोदी सरकार की फजीहत ही हुई है। वैसे भी एक सैनिक की शहादत राष्ट्रीय स्वाभिमान से जुड़ा मसला है। इस मामले में भाजपा ने विपक्ष में बैठकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ बेहद तल्ख तेवर अपनाए थे। शहीद को जिस वीभत्स तरीके से मौत दी गई, वह किसी का भी खून खौला देने के लिए काफी था। इसीलिए तब इस मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में ले जाने की मांग काफी तेजी से उठाई गई थी। इस पर तत्कालीन संप्रग सरकार का रवैया हमेशा की तरह काफी लचर था। उसका कहना था कि पड़ोसियों के साथ रिश्तों को ध्यान में रखते हुए आईसीजे में जाना कानूनी रूप से वैध नहीं होगा।
हालांकि अब समय का पहिया काफी घूम चुका है और केंद्र की सत्ता पर भाजपा सरकार काबिज है। अब मोदी सरकार संसद में बयान दे रही है कि अंतर्राष्ट्रीय अदालत में इस मामले को ले जाना व्यावहारिक नहीं है। संसद में राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर के सवाल पर विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह की ओर से दिए गए जवाब से सरकार का ये आधिकारिक रुख सामने आया। बाद में मामले के तूल पकड़ने पर सियासी उबाल को शांत करने के लिए केंद्र सरकार ने किसी भी कीमत पर शहीद कैप्टन कालिया को न्याय दिलाने की बात कही।
केंद्र ने कहा कि वह कोर्ट में नया हलफनामा दायर करेगी और अगर सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत दी तो वह तत्काल अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। दरअसल यूपीए सरकार के इस मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत न जाने के फैसले के बाद शहीद के पिता एनके कालिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिए गुहार लगाई थी। सरकार को इस मामले में आगामी 25 अगस्त को जवाब देना है। केंद्र सरकार का कहना है कि भारत और पाक दोनों देशों का आपसी युद्ध के मामलों को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट न ले जाने का रुख रहा है। दोनों कॉमनवेल्थ देश हैं, इसलिए संबंधित तय नियमों के कारण भी हम अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा सकते।
सरकार चाहे कुछ भी तर्क दे लेकिन सत्ता की मजबूरियों में चुनावी जुमले कहां पीछे छूट जाते हैं, यह पता ही नहीं चलता। मोदी सरकार तो यह बहाना भी नहीं बना सकती क्योंकि वह गठबंधन दलों की ऑक्सीजन से चलने वाली सरकार तो है नहीं। यह तो ऐतिहासिक बहुमत के साथ देश की बागडोर संभालने वाले ’56 इंच के सीने वाले’ पीएम की सरकार है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का चुप्पी साधना सही नहीं है। वैसे भी पाकिस्तान कौन सा नियम-कायदों को मानने वाला देश है? मुंबई हमले के मामले में पाक की संलिप्तता साबित करने के लिए भारत ने तमाम डोजियर भेजे लेकिन पाकिस्तान सबको नकारता रहा। अब भारत नियम कायदों की दुहाई दे, ये बात किसी भी हाल में गले के नीचे नहीं उतरती। वैसे भी इस मसले के सामने आने से दो दिन पहले ही रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पड़ोसी देशों को कठोर संदेश देते हुए बयान दिया था कि देश की 13 लाख की मज़बूत सेना का अर्थ “शांति पर उपदेश” देना नहीं होता। मुझे अपने देश की रक्षा करनी है। ऐसा करने के लिए मैं किसी भी सीमा तक जा सकता हूं।
इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत को पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए लेकिन कम से कम उचित बातों को सही मंच पर उठाया तो जाए। शहीदों को सम्मान, शहादत को सलाम या सेना को नमन जैसी बातें सिर्फ चुनावी मंचों या टेलीविजन कैमरों के सामने न की जाए बल्कि कोरी बयानबाजी से आगे बढ़कर क्रियाकलापों में भी वह मजबूती स्पष्ट परिलक्षित होनी चाहिए। वैसे कैप्टेन सौरभ कालिया की मौत पर केंद्र सरकार को कोर्ट में जवाब देना भी है लेकिन इस सबसे आगे एक जनता की अदालत है जहां सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना ही पड़ेगा। अगर इस बार गलती हुई तो इस देश का दोयम दर्जे का कोई और नेता किसी जवान की शहादत पर फिर ये कहेगा कि सेना में तो लोग मरने ही जाते हैं।
नेशनल
पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे
श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।
नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।
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