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45 दिन की बजाय 30 दिन में होगा शिकायतों का निपटारा, सरकार ने तय की समयसीमा

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सरकारी पोर्टल पर दर्ज की जाने वाली शिकायतों के निपटारे की समय सीमा 45 दिनों से घटाकर अधिकतम 30 दिन कर दी है। इसके साथ ही अर्जेंट शिकायतों की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाएगी।

पिछले साल, डीएआरपीजी ने जन शिकायतों के समाधान के लिए अधिकतम समय सीमा को 60 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दिया था। इसके अलावा यह निर्णय भी लिया गया है कि किसी नागरिक से प्राप्त शिकायत को तब तक बंद नहीं किया जाएगा, जब तक कि उसके खिलाफ दायर अपील का निपटारा नहीं हो जाता।

इसी तरह निपटाई गई शिकायत को तब बंद माना जाएगा जब शिकायककर्ता ने उसके खिलाफ अपील दायर नहीं की हो। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अगर निपटारा की गई शिकायत के खिलाफ नागरिक से अपील प्राप्त होती है तो उसके निपटारे के बाद ही शिकायत को बंद माना जाएगा।

शिकायत निवारण व निगरानी प्रणाली में व्यापक सुधार

डीएआरपीजी केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय के अधीन कार्यरत है। विभाग ने कहा कि उसने केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) में व्यापक सुधार किया है। यह ऑनलाइन पोर्टल है, जहां नागरिक सरकारी संगठनों व संस्थानों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।

विभाग ने कहा कि इसे नागरिकों की जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सरकार चाहती है कि नागरिकों की आवाज सुनी जाए और वह चाहती है कि वे व्यवस्था पर भरोसा करें।

तुरंत हल करना होगी शिकायतें, पर अधिकतम वक्त 30 दिन

आदेश में कहा गया है कि CPGRAMS पर प्राप्त शिकायतों को प्राप्त होते ही तुरंत हल किया जाएगा, लेकिन इसकी अधिकतम समय सीमा अब 30 दिन रहेगी। यह भी कहा गया है कि यदि विचाराधीन मामले या नीतिगत मुद्दों आदि के कारण तय समय-सीमा में निपटारा संभव नहीं हुआ तो शिकायतकर्ता नागरिक को अंतरिम रूप से उचित जवाब दिया जाएगा कि किस वजह से निपटारा नहीं हो सका है।

पहले तीन माहों में 13,32,567 शिकायतें मिलीं

इस साल जनवरी से मार्च तक कुल 13,32,567 शिकायतें मिली हैं। इनमें से 4,18,451 का निपटारा कर दिया गया है। जबकि पिछले साल यानी 2021 में इसी अवधि में 30,23,894 शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 21,35,923 का निपटारा किया गया था। वर्ष 2020 में 33,42,873 मिली थीं और 23,19,569 का निपटारा किया गया था।

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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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