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यमुना इतनी ही नाजुक थी तो उत्सव की इजाजत क्यों दी : श्री श्री रविशंकर
नई दिल्ली। ऑर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने मंगलवार को कहा कि अगर यमुना ‘इतनी ही नाजुक और शुद्ध थी’ तो अधिकारियों को विश्व संस्कृति महोत्सव की इजाजत नहीं देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को आयोजित करने की अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) और केंद्र व दिल्ली सरकारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
रविशंकर की यह टिप्पणी एनजीटी द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद आई है। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्सव की वजह से यमुना के बाढ़क्षेत्र पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए किए जाने वाले पर्यावरण पुनर्वास में एक दशक और 42.02 करोड़ रुपये लगेंगे।
ऑर्ट ऑफ लिविंग की तरफ से यह बयान मंगलवार को जारी किया गया। इसमें रविशंकर ने कहा कि ऑर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) ने एनजीटी सहित सभी जरूरी इजाजत ली थी। इसमें कहा गया, “एनजीटी के पास आवेदन की फाइल दो महीने तक थी और वे इसे शुरुआत में ही रोक सकते थे। यह प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों की अवहेलना है कि आप इजाजत देते हैं और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं होने पर भी जुर्माना लगा देते हैं।”
उन्होंने कहा, “यदि यमुना इतनी ही नाजुक और शुद्ध थी, तो उन्हें शुरुआत में ही विश्व संस्कृति उत्सव को रोक देना चाहिए था। एक ऐतिहासिक कार्यक्रम जो प्रशंसा योग्य था, उसे अन्यायपूर्ण तरीके से अपराध के रूप में पेश किया गया है।” रविशंकर ने कहा कि उस समारोह ने हवा, पानी व भूमि किसी को प्रदूषित नहीं किया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम को 155 देशों के तीस लाख से ज्यादा लोगों ने देखा।
यह उत्सव 11 से 13 मार्च 2016 को राष्ट्रीय राजधानी के बारापूला एलिवेटेड रोड और डीएनडी फ्लाइवे के बीच नदी के बाएं तरफ आयोजित की गया था। सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि यमुना नदी के दाहिने तरफ 300 एकड़ के मैदान और नदी के बाएं तरफ पूर्व में 120 एकड़ मैदान पर पारिस्थितिकीय रूप से ‘प्रतिकूल प्रभाव’ पड़ा है।
आर्ट आफ लिविगं ने रिपोर्ट पर भी सवाल उठाया है और कहा है कि यह जान बूझकर मीडिया को लीक की गई और यह कि इसके कुछ सदस्य पक्षपाती हैं। इस मामले पर एनजीटी में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होनी है।
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सीबीआई केस में मनीष सिसोदिया को राहत नहीं, कोर्ट ने न्यायिक हिरासत 15 मई तक के लिए बढ़ाई
नई दिल्ली। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने एक्साइज पॉलिसी मामले से जुड़े सीबीआई केस में आप नेता मनीष सिसौदिया की न्यायिक हिरासत 15 मई तक बढ़ा दी है। कोर्ट ने मामले में आरोप तय करने पर आगे की बहस के लिए 15 मई की तारीख भी तय की है।
वहीं सिसोदिया इसके अलावा दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के केस में न्यायिक हिरासत में पहले ही 8 मई तक है।
दरअसल, ईडी और सीबीआई दोनो ही जांच एजेंसी दिल्ली शराब नीति मामले में सिसोदिया की भूमिका की जांच कर रहे हैं। सिसोदिया को पिछले साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था।
ईडी और सीबीआई ने दावा किया है कि दिल्ली शराब नीति को लागू करने और तैयार करने में गड़बड़ी हुई है। इसमें आप के नेता और दिल्ली की केजरीवाल सरकार में कई मंत्री शामिल रहे हैं। ईडी ने तो हाल ही में इसका मुख्य साजिशकर्ता आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को करार दिया है।
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