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पुस्तक मेले में हिमाचल के साहित्यकारों की किताबों की धूम
नई दिल्ली | नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे पुस्तक मेले में जहां देश-विदेश के चर्चित लेखकों की कृतियों को खरीदने के लिए बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी उमड़ रहे हैं, वहीं हिमाचल के साहित्यकार भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। विभिन्न प्रकाशनों के स्टॉलों पर हिमाचल के लेखकों की कृतियां धूम मचा रही हैं। पुस्तक मेले में देश के नामी-गिरामी प्रकाशकों के 2,000 से अधिक स्टॉल लगे हैं जो अंग्रेजी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं की किताबों के हैं।
कई स्टॉलों पर हिमाचल के लेखकों गुरमीत बेदी, केशव, एस.आर. हरनोट, राजकुमार राकेश, बद्री सिंह भाटिया, सुदर्शन वशिष्ठ, मृदुला श्रीवास्तव, आत्मा रंजन और सुरेश सेन निशांत की साहित्यिक कृतियों ने भी पुस्तक प्रेमियों को आकर्षित किया है और इन पुस्तकों की बिक्री से प्रकाशक काफी प्रसन्न हैं।
पुस्तक मेले में हिमाचल के साहित्यकार गुरमीत बेदी की कविता, कहानी व व्यंग्य विधा में लिखी पांच पुस्तकें डिस्प्ले की गई हैं जिन्हें खरीदने में पाठक काफी उत्साह दिखा रहे हैं। भावना प्रकाशन के नीरज मित्तल का कहना है कि इसी साल प्रकाशित गुरमीत बेदी के कविता संग्रह ‘मेरी ही कोई आकृति’ में काव्य प्रेमियों ने खासी दिलचस्पी दिखाई है। विभिन्न राज्यों से पुस्तक प्रेमियों ने एस.आर हरनोट के कहानी संग्रहों, उपन्यास और केशव की कृतियों को भी हाथों हाथ लिया है। पुस्तक मेले में हिमाचल के कई लेखक भी पहुंचे हैं।
इस पुस्तक मेले में विभिन्न राज्यों से आए पुस्तक प्रेमियों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के साहित्यकारों ने राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाकर यह साबित कर दिया है कि इस पहाड़ी प्रदेश में रचा जा रहा साहित्य अब किसी परिचय का मोहताज नहीं रहा है। पुस्तक मेले में साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन, सांस्कृतिक आयोजन, सेमिनार व गोष्ठियां भी आयोजित हो रही हैं। विदेश से अनेक पुस्तक प्रकाशक और विक्रेता इस पुस्तक मेला में भाग लेने आए हैं। पुस्तक मेला 15 जनवरी तक चलेगा।
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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है। उनका इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स में चल रहा था। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली।
हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया था कि, राजमाता माधवी राजे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें 15 फरवरी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। इसी साल 6 मार्च को भी उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उस समय भी उनकी हालत नाजुक थी और उनको लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था।
पहली बार 15 फरवरी को माधवी राजे की तबीयत बिगड़ी थी, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके बाद से ही उनकी हालत नाजुक बनी हुई थे। वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले यह जानकारी शेयर की थी।
नेपाल राजघराने से माधवीराजे सिंधिया का संबंध है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के साथ माधवी राजे के विवाह से पहले प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी उनका नाम था। साल 1966 में माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था। मराठी परंपरा के मुताबिक शादी के बाद उनका नाम बदलकर माधवीराजे सिंधिया रखा गया था। पहले वे महारानी थीं, लेकिन 30 सितंबर 2001 को उनके पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के निधन के बाद से उन्हें राजमाता के नाम से संबोधित किया जाने लगा।
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