Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

दोगले चीन ने चली ‘नापाक’ चाल

Published

on

UN-lakhvi

Loading

चीन ने एक बार फिर अपने दोगलेपन का सबूत दिया है। एक तरफ तो वह भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने की दिशा में आगे बढ़ने की बात करता है तो दूसरी ओर उसने आतंकी सरगना जकी-उर-रहमान लखवी की रिहाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत की कार्रवाई की कोशिशों पर अड़ंगा लगा दिया है। इस कदम के साथ चीन ने अपने गहरे दोस्त पाकिस्तान की आतंकवाद को उकसाने वाली कार्रवाई को खुलेआम अपना समर्थन दिया है। दरअसल भारत लखवी की रिहाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा था। इसी सिलसिले में प्रतिबंधों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की समिति ने बैठक की, जिसमें पाक से स्पष्टीकरण मांगा जाना था। ऐसे महत्वपूर्ण हालात में चीन ने नई चाल चलते हुए इस आधार पर यह कदम रोक दिया कि भारत ने अभी तक लखवी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दिए हैं।

यह किसी से छिपा नहीं है कि भारत के खिलाफ आतंकवादी कार्रवाई के लिए लखवी ने ही हमलावर भर्ती किए थे। कसाब जैसे खूंखार आतंकी ने भी कबूल किया था कि लखवी और हाफिज सईद ने उसे भर्ती किया था। भारतीय खुफिया विभाग ने लखवी को कराची स्थित लश्कर-ए-तैयबा के नियंत्रण कक्ष से आतंकवादियों को निर्देश देने संबंधी बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सबूत के तौर पर दी। इस सब के बावजूद चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का फायदा उठाते हुए पाक को सीधे मदद दे दी। पर ऐसा करते हुए वह भूल गया कि मुंबई हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन और हाफिज सईद व लखवी को वांछित अपराधी घोषित किया था। यही नहीं, इस साल सुबूतों के अभाव में पाकिस्तान में लखवी जब जेल से रिहा हुआ, तब अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों ने गहरी चिंता जताते हुए उसे फिर से गिरफ्तार करने की मांग की थी।

वैसे सत्ता में आने के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमेशा चीन के साथ बेहतर रिश्तों को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। इस बीच चीनी राष्ट्रपति का भारत दौरा हुआ और पीएम मोदी भी चीन की यात्रा कर आए। दोनों की बातचीत में आतंकवाद को खत्म करना भी एक मुद्दा रहा पर बीजिंग का हालिया रुख उसके पूर्व के दोहरे चरित्र से पूरी तरह मेल खाता है। चीन के कदम से साफ है कि आतंकवाद को निर्मूल करना उसके एजेंडे में है ही नहीं।

पाकिस्तान के साथ चीन की गहरी दोस्ती है लेकिन पाकिस्तान का साथ देना एक बात है और आतंकवादी सरगना के पक्ष में खड़े होना दूसरी। पाकिस्तान से दोस्ती निभाने के चक्कर में वह आतंकवाद को खत्म करने की संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता की ही धज्जियां उड़ाने में लगा है। यह तो खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करना हुआ। लखवी जैसे आतंकी के बचाव में पाकिस्तान और चीन के एकजुट होने के खुले सुबूत के साथ यह घटनाक्रम बताता है कि अपनी जमीन से आतंकवाद को खाद-पानी देने का काम पाकिस्तान इसलिए भी कर पा रहा है, क्योंकि उसकी पीठ पर चीन का हाथ है।

इसके जवाब में भारत ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति और चीन दोनों के साथ उच्च स्तर पर उठाया है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इस मसले पर चीन के नेतृत्व से बातचीत की। इस कड़े रुख को बनाए रखने की जरूरत है और भारत को यह भी प्रयास करना चाहिए कि वैश्विक मंचों पर चीन और पाकिस्तान का यह नापाक गठबंधन किसी तरह बेनकाब हो जाए।

नेशनल

कांग्रेस के इस बड़े नेता ने की पीएम मोदी की तारीफ, लिखा- उनकी कृपा है जो उन्होंने मेरी मां के योगदान को याद किया

Published

on

Loading

नई दिल्ली। कांग्रेस की पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने पीएम मोदी की तारीफ की है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी के एक इंटरव्यू में उनसे अपनी मां और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की तारीफ सुनने के बाद संदीप दीक्षित ने उनका आभार जताया है। उन्होंने पीएम मोदी के इंटरव्यू के एक हिस्से को शेयर करते हुए लिखा, हालांकि, हमारे राजनीतिक मतभेद बने हुए हैं, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुत कृपा है कि उन्होंने शीला दीक्षित और उनके योगदान को याद किया। मेरी मां और प्रधानमंत्री मोदी 12 वर्षों तक एक साथ अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री रहे और अक्सर विभिन्न मंचों पर बातचीत करते थे। सार्वजनिक जीवन में ऐसा शिष्टाचार आवश्यक है।”

दरअसल, पीएम मोदी को इस इंटरव्यू में दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को याद करते हुए कहते सुना जा सकता है। पीएम कहते हैं, ”एक और मुख्यमंत्री हैं, जो बहुत बड़ी बातें करते हैं, शीला दीक्षित को कितनी गालियां दी और कितना बदनाम किया था और मैं व्यक्तिगत रूप से शीला दीक्षित जी का सम्मान करने वाले व्यक्तियों में से हूं। लेकिन, उनके ऊपर जो आरोप लगाए हैं, वह भी जीवन के आखिरी दिनों में उन्हें जिस तरह से बदनाम किया गया। मैंने उन्हें निकट से देखा है, ये बातें मेरे गले से नहीं उतरती हैं।”

बता दें कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस को हराकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी। पार्टी इस चुनाव में उसी के साथ गठबंधन करके तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसमें उत्तर पूर्वी दिल्ली की वह सीट भी शामिल है, जहां से 2019 में खुद शीला दीक्षित पार्टी की उम्मीदवार थीं। चर्चा थी कि संदीप दीक्षित वहां पर अपनी दावेदारी जता रहे थे, लेकिन पार्टी ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार वहां से टिकट दे दिया।

 

Continue Reading

Trending