अन्तर्राष्ट्रीय
चीन की दोहरी चाल, पाक में आर्मी बेस बनाने की तैयारी
वाशिंगटन। आने वाले दिनों में चीन पाकिस्तान में भी सैन्य अड्डा बना सकता है। पेंटागन ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने 97 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। अगर चीन ऐसा करता है, तो भारत की सामरिक चुनौतियां बढऩे की आशंका है।
अमेरिकी रक्षा विभाग की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान सहित उन देशों में चीनी सैन्य बेस स्थापित किए जाने की संभावना है, जिनसे उसके लंबे समय से दोस्ताना और सामरिक रिश्ते रहे हैं। चीन ने हाल ही में अफ्रीका के एक देश जबूटी में अपना मिलिटरी बेस स्थापित किया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों में भी वह इसी तरह से सैन्य अड्डे बना सकता है।
हिंद महासागर के दक्षिण-पश्चिमी मुहाने पर जबूटी में चीन की मौजूदगी से भारत चिंतित है, क्योंकि यह भी चीन की ‘पर्ल ऑफ स्ट्रिंग’ योजना का हिस्सा है। इस योजना के तहत महासागर के चारों ओर चीन की मिलिट्री एलायंस और बेस स्थापित करने की योजना है।
रिपोर्ट में कहा गया कि हिंद महासागर, भूमध्यसागर एवं अटलांटिक महासागर जैसे ‘सुदूरवर्ती समुद्री क्षेत्रों’ में नियमित सैन्य तैनाती के लिए जरूरी साजो सामान की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चीन विदेशी बंदरगाहों तक अपनी पहुंच में विस्तार कर रहा है।
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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