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दोगले चीन ने चली ‘नापाक’ चाल

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चीन ने एक बार फिर अपने दोगलेपन का सबूत दिया है। एक तरफ तो वह भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने की दिशा में आगे बढ़ने की बात करता है तो दूसरी ओर उसने आतंकी सरगना जकी-उर-रहमान लखवी की रिहाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत की कार्रवाई की कोशिशों पर अड़ंगा लगा दिया है। इस कदम के साथ चीन ने अपने गहरे दोस्त पाकिस्तान की आतंकवाद को उकसाने वाली कार्रवाई को खुलेआम अपना समर्थन दिया है। दरअसल भारत लखवी की रिहाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा था। इसी सिलसिले में प्रतिबंधों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की समिति ने बैठक की, जिसमें पाक से स्पष्टीकरण मांगा जाना था। ऐसे महत्वपूर्ण हालात में चीन ने नई चाल चलते हुए इस आधार पर यह कदम रोक दिया कि भारत ने अभी तक लखवी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दिए हैं।

यह किसी से छिपा नहीं है कि भारत के खिलाफ आतंकवादी कार्रवाई के लिए लखवी ने ही हमलावर भर्ती किए थे। कसाब जैसे खूंखार आतंकी ने भी कबूल किया था कि लखवी और हाफिज सईद ने उसे भर्ती किया था। भारतीय खुफिया विभाग ने लखवी को कराची स्थित लश्कर-ए-तैयबा के नियंत्रण कक्ष से आतंकवादियों को निर्देश देने संबंधी बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सबूत के तौर पर दी। इस सब के बावजूद चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का फायदा उठाते हुए पाक को सीधे मदद दे दी। पर ऐसा करते हुए वह भूल गया कि मुंबई हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन और हाफिज सईद व लखवी को वांछित अपराधी घोषित किया था। यही नहीं, इस साल सुबूतों के अभाव में पाकिस्तान में लखवी जब जेल से रिहा हुआ, तब अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों ने गहरी चिंता जताते हुए उसे फिर से गिरफ्तार करने की मांग की थी।

वैसे सत्ता में आने के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमेशा चीन के साथ बेहतर रिश्तों को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। इस बीच चीनी राष्ट्रपति का भारत दौरा हुआ और पीएम मोदी भी चीन की यात्रा कर आए। दोनों की बातचीत में आतंकवाद को खत्म करना भी एक मुद्दा रहा पर बीजिंग का हालिया रुख उसके पूर्व के दोहरे चरित्र से पूरी तरह मेल खाता है। चीन के कदम से साफ है कि आतंकवाद को निर्मूल करना उसके एजेंडे में है ही नहीं।

पाकिस्तान के साथ चीन की गहरी दोस्ती है लेकिन पाकिस्तान का साथ देना एक बात है और आतंकवादी सरगना के पक्ष में खड़े होना दूसरी। पाकिस्तान से दोस्ती निभाने के चक्कर में वह आतंकवाद को खत्म करने की संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता की ही धज्जियां उड़ाने में लगा है। यह तो खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करना हुआ। लखवी जैसे आतंकी के बचाव में पाकिस्तान और चीन के एकजुट होने के खुले सुबूत के साथ यह घटनाक्रम बताता है कि अपनी जमीन से आतंकवाद को खाद-पानी देने का काम पाकिस्तान इसलिए भी कर पा रहा है, क्योंकि उसकी पीठ पर चीन का हाथ है।

इसके जवाब में भारत ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति और चीन दोनों के साथ उच्च स्तर पर उठाया है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इस मसले पर चीन के नेतृत्व से बातचीत की। इस कड़े रुख को बनाए रखने की जरूरत है और भारत को यह भी प्रयास करना चाहिए कि वैश्विक मंचों पर चीन और पाकिस्तान का यह नापाक गठबंधन किसी तरह बेनकाब हो जाए।

प्रादेशिक

इस्कॉन के चेयरमैन गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का निधन, देहरादून के अस्‍पताल में थे भर्ती

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देहरादून। इस्‍कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के अध्‍यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का रविवार को निधन हो गया। हृदय संबंधी बीमारी के चलते उन्‍हें तीन दिन पहले देहरादून के सिनर्जी अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्‍होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से भक्तों में शोक की लहर है।

इस्कॉन मंदिर के डायरेक्टर कम्युनिकेशन इंडिया बृजनंदन दास ने बताया कि 5 मई को शाम 4 बजे नई दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित मंदिर में दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज दो मई को दूधली स्थित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां वह अचानक फिसलकर गिर गए थे। इससे उन्हें चोट लगी थी। उनका तीन दिनों से सिनर्जी अस्पताल में इलाज चल रहा था। भक्त उनके आखिरी दर्शन दिल्ली के इस्कॉन मंदिर में कर सकेंगे। सोमवार को उनकी देह को वृंदावन ले जाया जाएगा। इसका समय अभी तय नहीं हुआ है।

 

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