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अन्तर्राष्ट्रीय

पाक की पंजाब सरकार ने लखवी की रिहाई को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

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Lakhvi-SC

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने मुंबई हमले के साजिशकर्ता जकीउर रहमान लखवी की रिहाई के आदेश देने वाले लाहौर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। डॉन समाचार पत्र की वेबसाइट के अनुसार, पंजाब के गृह विभाग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि लखवी के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद लाहौर न्यायालय के न्यायमूर्ति अनवारुल हक ने इसकी अवहेलना की और 10 अप्रैल को लखवी की रिहाई के आदेश दिए।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से लाहौर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने और लोक व्यवस्था बहाल रखने के लिए उसे हिरासत में रखने के आदेश दिए जाने की अपील की गई है। पंजाब सरकार ने पहले कहा था कि लखवी को संवेदनशील सूचना के आधार पर हिरासत में लिया गया था, जो कि खुफिया एजेंसियों ने उपलब्ध कराया था। लखवी ने 14 मार्च को चौथी बार अपनी हिरासत को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिस पर लाहौर उच्च न्यायालय ने उसे तत्काल रिहा करने के आदेश दिए थे।

लखवी सहित सात लोगों पर 2008 के मुंबई हमले की साजिश रचने और हमलावरों को मदद पहुंचाने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी।

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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