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मुख्य समाचार

दादरी की पीड़ा और हमारी इंसानियत!

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प्रभुनाथ शुक्ल

धर्म और उसकी धारणा में हम अंतर आज तक नहीं कर पाए हैं। धर्म क्या किसी इंसानियत, मानवीयता और सहिष्णुता से अलग कोई परिभाषा गढ़ता है? सवाल उठता है कि आखिर धर्म के कितने रूप होते हैं। हमने धर्म और उसकी धारणा को कभी समझने की कोशिश नहीं की। अगर की होती तो हमारे सामने उत्तर प्रदेश के दादरी जैसी दर्दनाक घटना न होती।

हम अपने को वैष्णव जन कहलाने के अधिकारी नहीं हैं, क्योंकि वैष्णव जन वही होता है, जिसके अंदर दूसरे की पीड़ा का अहसास हो। उसी को इंसानियत और धर्म कहते हैं। हम जो धारण कर लें, वही हमारा धर्म नहीं होता।

गौतमबुद्ध नगर के दादरी के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर को एक अफवाह जिस तरह सांप्रदायिक तनाव का कारण बनी और एक बेगुनाह की जान चली गई, क्या यही हमारा धर्म है? यहां हमने धर्म की धारणा और अफवाह में अंतर करने की कोशिश नहीं और न ही इस पर कदम उठाने के पहले विचार किया। संभत: यह हमारी सबसे बड़ी मानवीय भूल थी। गोमांस पकाने की बेसिर-पैर की अफवाह पर भीड़ भड़क गई और एक बेगुनाह को लात-घूंसों से पिटाई के बाद सिर पर सिलाई मशीन से वार कर जान ले ली गई।

कहा जा रहा है कि जिस मंदिर से यह अफवाह उठी, उसे उड़ाने वाला वहां का पुजारी था। उस पर दो युवकों ने इस अफवाह को फैलाने का दबाब बनाया था। अगर ऐसा हुआ तो कितनी घटिया साजिश थी यह। यह हिंदू और उसकी आत्मा पर चोट करता है। हिंदू धर्म क्या इतना कमजोर और निर्बल है कि उसे अफवाह की एक मामूली गर्म हवा झुलसा दे? कदापि नहीं। ऐसा हम नहीं मानते। यह एक साजिश थी। धर्म और गाय को सामने लाकर एक षड्यंत्र बुना गया। जिस धर्म में सर्वधर्म समभाव की बात हो, वहां भीड़ कैसे किसी की जान ले सकती है।

उफ् यह कितना निंदनीय है। हमें इस पर गर्व नहीं, शर्म होना चाहिए, क्योंकि हमने हमेशा दुनिया के सामने सांप्रदायिक एकता की मिसाल पेश की है। हम एक बेसिर-पैर की अफवाह पर इतने निर्दयी और क्रूर कैसे हो गए, यह विचारणीय बिंदु है। निश्चय हम जिस धर्म के समर्थक हैं, उसके प्रति हमारे भीतर कूट-कूट कर श्रद्धा, भाव भक्ति और आस्था भरी है। लेकिन हमारी आस्था हमारा विश्वास एक अफवाह डिगा देगा ऐसा हम नहीं सोचते। हमने धर्म की धारणा हो यहां धोखा दिया है। हमने अफवाह को अपना धर्म माना है, जिसके चलते यह घटना हुई।

कहते हैं कि अफवाहों को सिर-पैर नहीं होते। वे उड़ती हैं तो उड़ती ही चली जाती हैं और जहां विराम लेती हैं वहां विनाश का कारण बनती हैं। कभी मुजफ्फरनगर, कभी दादरी और कभी लखनऊ, आखिर यह सब क्या है? गाय हमारी मां है। हम गाय की पूजा करते हैं, उसके साथ क्रूरता हम बर्दाश्त नहीं कर सकते, लेकिन हमारी यह श्रद्धा क्या इंसानियत से बड़ी है? हमारे लिए क्या अखलाक का परिवार कोई मायने नहीं रखता?

अगर थोड़ी देर के लिए यह सच भी मान लिया जाए तो क्या इसके पहले उसने गोमांस नहीं पकाया? कभी अगर पकाया तो बवाल क्यों नहीं हुआ फिर आज क्यों? इस घटना पर पर सियासत तीखी हो चली है। लोग दादरी पहुंचने लगे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार लाखों लाख रुपये की मदद पीड़ित परिवार को दिला रही है।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के सीएम ने इस घटना की निंदा की है। राजनाथ ने कहा है कि इस पर राजनीति न की जाए। यह एक घटना भर थी, जबकि इस घटना को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है। यूपी में इस समय पंचायत चुनाव का पारा चढ़ा है। राजनीतिक दल अपने-अपने नफा नुकसान के लिहाज से इसे देख रहे हैं, क्योंकि मामला अल्पसंख्यक समुदाय का है। लिहाजा, सियासी हमदर्दी भी उफान पर है।

राहुल गांधी ने भी दादरी पहुंचकर पीड़ित परिवार की पीड़ा पर मधुर मरहम लगाया है, लेकिन यह सब क्यों और किस लिए? अखलाक के परिवार ने गोमांस पकाया था या नहीं, इसकी कोई पुष्टि नहीं है। लेकिन जो अपने को स्वयं हिंदू कहते हैं, देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन हैं और रह चुके हैं, उनकी ओर से लगातार गोमांस पर बयानबाजी की जा रही है। फिर क्या उनके खिलाफ भी भीड़ इस प्रकार की प्रक्रिया की आजमाइश करेगी? क्या उनके खिलाफ कोई प्रतिबंध लगेगा?

महाराष्ट्र सरकार ने गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया है। गोवा सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। वह इस मामले में केंद्र को भी चुनौती दे रही है। केंद्र में एक हिंदू समर्थित दल ने सत्ता की कमान संभाल रखी है। अगर ऐसी बात है तो देशभर में गोवध व गोमांस की बिक्री और निर्यात पर क्यों नहीं प्रतिबंध लगाया जाता है?

देश के बूचड़खानों में लाखों की संख्या में गोवंशीय मवेशियों का खुलेआम कत्ल किया जाता है। उनकी मांस, चपड़े और हड्डियों का व्यवसायिक उपयोग होता है। इस पर हम आगे क्यों नहीं आते हैं? आज अफवाह धर्म का पालन करने वाली भीड़ ने बड़ी संख्या में पहुंच कर अखलाक की जान ले ली और उसके 22 साल के बेटे और भाइयों को भी पीटा। कल यही हादसा हमारे साथ भी होगा और हो सकता है।
आखलाक इस दुनिया को अलविदा कह गया है, लेकिन अपने पड़ोसियों की ओर से बुरी याद लेकर विदा हुआ। काश! जब वह स्वाभाविक रूप से इस दुनिया से जाता तो बिसाहड़ा की ईद, होली, दिवाली और दशहरा की यादें उसके साथ जन्नत में भी होती। लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए। यह हमारी सबसे बड़ी नाकामी है। आने वाला वक्त हमें कभी माफ नहीं करेगा। हमारे लिए अफवाह का धर्म नहीं, इंसानियत का धर्म सबसे बड़ा है।

हम हिंदू हों या मुसलमान, इससे क्या फर्क पड़ता है। हमारे खून के रंग एक हैं। धर्म हमें बांटता नहीं, आपस में जोड़ता है। लेकिन हमने अब धर्म को ही बांट डाला है। वह धर्म है इंसानियत का, ईमान का और सहिष्णुता का। हमने जो भूल की है, उस पर अब राजनीति की गाढ़ी चाशनी चढ़ाई जा रही है। हलांकि यह चाशनी बेस्वाद और कसैली है। हमें इस पर विचार करना होगा..ईश्वर अल्ला तेरो नाम, सब को सन्नमति दे भगवान..। तभी हमें सच्चे अर्थों में धार्मिक और मानवीय कहलाने का अधिकार होगा, वरना हम किसी ऐसे धर्म की वकालत नहीं करते जो इंसानियत ही मिटाने पर तुला हो। क्या मतलब है ऐसे धर्म और उसकी धारणा का।

हम जिस परिवेश में रहते हैं, वहां सभी धर्मों और संप्रदाय के व्यक्ति रहते हैं। आज दुनिया पर बाजारवाद हावी है। शहरों में पता नहीं किस-किस धर्म के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं। पता नहीं क्या क्या खाते, पकाते हैं। फिर भी हम उनके साथ पड़ोसी धर्म निभाते हैं। हमारी पूरी दुनिया ग्लोबल हो चुकी है। अगर हम धार्मिक, जातीय और सांप्रदायिक आधार पर इसी तरह बंट जाएंगे तो कश्मीर में आईएएस काला झंडा फहराएगा। आईएएस पूरी दुनिया को चुनौती देगा। फिर हम चीन, पाकिस्तान और दूसरे मुल्कों से कैसे निपट पाएंगे। नेपाल भी धमकी दे रहा है कि अगर भारत हमारी मदद वक्त पर नहीं की तो हम चीन के साथ चले जाएंगे। अगर ऐसी स्थिति रहीं तो कल हम विश्वमंच पर हाशिए पर खड़े होंगे; हमारे श़त्रु हमें चुनौती देने को खड़े हैं लेकिन हम वैश्विक चुनौतियों को समझने के बजाय सांप्रदायिकता का गुणगान कर रहे हैं। हमारे लिए यह चुनौती है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

नेशनल

ओडिशा के ढेंकानाल में बोले पीएम मोदी, मैंने ओडिशा और देश की सुख समृद्धि के लिए भगवान जगन्नाथ से आशीर्वाद मांगा

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नई दिल्ली। पीएम मोदी ने ओडिशा के ढेंकानाल में एक जनसभा को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन की शुरुआत जय जगन्नाथ और जय श्रीराम का उद्घोष कर के किया। पीएम मोदी ने 10 बजे सुबह में लोगों की इतनी बड़ी भीड़ आने पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि मैं सुबह भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेने गया था जहां हजारों लोगों की भीड़ आई थी। पीएम ने कहा कि भगवान जगन्नाथ हर किसी की आशा पूरी करते हैं। पीएम ने कहा कि मैनें ओडिशा और देश की सुख समृद्धि के लिए भगवान जगन्नाथ से आशीर्वाद मांगा है। पीएम मोदी ने रैली में आए बच्चों के बारे में कि जब 2047 में भारत विकसित होगा तब यही लोग देश चला रहे होंगे।

पीएम मोदी जनसभा में कहा कि चुनाव के इस समय में दुनिया के कई एक्सपर्ट देश के कोने-कोने में जाकर हालात का जायजा ले रहे हैं। भारत के लोकतंत्र के उत्सव का आनंद लेते हुए मतदाताओं की नब्ज टटोल रहे हैं। हर कोई चकित है कि लोग तीसरी बार भी मोदी सरकार को वापस लाना चाहते हैं। इसमें हमारी माताओं और बहनों का योगदान सबसे ज्यादा है। ओडिशा के गांव-गांव, गली-गली में अब एक ही नारा गूंज रहा है। ओडिशा में पहली बार-डबल इंजन सरकार।

पीएम मोदी ने रैली में आए लोगों से कहा कि आपने 25 साल तक बीजद की सरकार पर भरोसा किया। लेकिन आज लोग इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि इतने सालों में ओडिशा को क्या मिला। आज भी यहां किसान परेशान हैं। युवा दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए जा रहे हैं। आदिवासी क्षेत्र जहां जल जंगल, जमीन है खनिज संपदा है, वहां सबसे ज्यादा बेहाली है। इन्हीं इलाकों से सबसे ज्यादा पलायन होता है।

पीएम मोदी ने कहा कि इतने समृद्ध ओडिशा में जनता इतनी गरीबी में जीने के लिए मजबूर क्यों है। पीएम ने कहा कि मैं सोमनाथ की धरती से जगन्नाथ की धरती को प्रणाम करने आया हूं। लेकिन मैं ओडिशा की गरीबी को देखता हूं तो मुझे तकलीफ होती है। पीएम ने कहा कि इतना समृद्ध प्रदेश, इतनी महान विरासत, मेरे ओडिशा को किसने तबाह-बर्बाद किया। किसने इसके युवाओं के सपनों को कुचल डाला। ये बातें बहुत तकलीफ देती है। पीएम ने कहा कि इसकी सबसे बड़ी वजह है बीजू जनता दल की सरकार जो पूरी तरह भ्रष्टाचारियों के कब्जे से घिरी हुई है। पीएम ने कहा कि मुट्ठी भर भ्रष्टाचारी सीएम आवास पर कब्जा कर के बैठे हैं। बीजद के छोटे-छोटे नेता करोड़ों के मालिक बन गए हैं। पीएम ने कहा कि ओडिशा की बीजद सरकार ने यहां की खनिज संपदा का फायदा लोगों को नहीं मिलने दिया।

पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में पीएम बनने के बाद मैंनें नई खनन नीति बनाई। इसके तहत ओडिशा को ज्यादा रॉयल्टी मिलती है। हमने नियम बनाया कि खनिज की कमाई का एक हिस्सा यहीं रहे और लोगों के विकास में लगे। हमने ओडिशा को मिनरल फंड के तहत 26 हजार करोड़ रुपये दिए हैं। पीएम ने कहा कि ये पैसे ढेंकनाल में बच्चों के स्कूल, गांव की सड़कों के लिए खर्च होने थे। लेकिन बीजेडी की सरकार ने इसमें भी भ्रष्टाचार किया।

पीएम मोदी ने कहा कि बीजेडी के राज में ओडिशा की न तो संपदा सुरक्षित है और न ही सांस्कृतिक धरोहर। बीजेडी सरकार के कारण जगन्नाथ मंदिर भी सुरक्षित नहीं है। बीते 6 साल से श्री रत्न भंडार की चाबी का अता-पता नहीं है। जब हमारे घर की चाबी खो जाती है तो हम भगवान जगन्नाथ से मदद मांगते हैं और चाबी हमें मिल जाती है। लेकिन यहां 6 साल से रत्न भंडार की चाबी खो गई है। पीएम मोदी ने कहा कि इसके पीछे बीजेडी सरकार और सीएम को घेरा डाल कर बैठे लोग जिम्मेदार हैं। पूरा ओडिशा जानना चाहते है कि जो जांच हुई थी उसकी रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो रिपोर्ट ही दबा दी है।

पीएम मोदी ने कहा कि बीजेडी की खामोशी के कारण लोगों का शक गहरा रहा है। पीएम ने कहा कि मैं आज ओडिशा के लोगों को गारंटी देता हूं कि भाजपा की सरकार उस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी। इसके बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। पीएम ने कहा कि भगवान जगन्नाथ की सबसे बड़ी सेवा उसी समय से शुरू हो जाएगी।

पीएम मोदी ने कहा कि ओडिशा का तेज विकास ओडिशा की मिट्टी की संतान ही कर पाएगी। इसलिए मोदी ने गारंटी दी है कि आप यहां भाजपा की सरकार बनाइए और भाजपा ओडिशा के बेटे या बेटी को ही ओडिशा का मुख्यमंत्री बनाएगी। पीएम ने कहा कि मैनें पहले से ही शपथ ग्रहण की तारीख बता दी है। मैं सभी को निमंत्रण देने आया हूं कि 10 जून को ओडिशा में भाजपा की डबल इंजन सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। पीएम मोदी ने कहा कि बीजद सरकार का जाना तय है।

पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के ओडिशा को विकास की रफ्तार चाहिए जो बीजेडी सरकार किसी भी हालत में नहीं दे सकती। इस शताब्दी का अब तक पूरा हिस्सा लोग बीजेडी को दे चुके हैं। अब समय आ चुका है कि लोग बीजेडी की ढ़ीली सरकार को छोड़कर भाजपा की सरकार चुने। पीएम मोदी ने कहा कि बीते लंबे समय से ओडिशा में सिंचाईं परियोजनाएं लटकी पड़ी हैं। आपने अगर मोदी को अवसर दिया तो हम इसे पीएम कृषि सिंचाई योजना में लाएंगे। ओडिशा में 8 ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिनमें से 5 को मोदी सरकार पूरा कर चुकी है। लेकिन बीजद की सरकार के ज्यादातर प्रोजेक्ट आज भी अधूरे हैं।

पीएम ने कहा कि ओडिशा के किसानों के साथ भी हमेशा से विश्वासघात हुआ है। ओडिशा का किसान साल में धान की एक फसल मुश्किल से उगाता है। लेकिन किसान को 2200 रुपये को घोषित एमएसपी भी उन्हें नहीं मिलता। बीजेडी के नेता धान किसानों को मंडी में लूटते हैं। पीएम ने रैली में आए लोगों से कहा कि आप हर किसान से जाकर मिलें और उन्हें बताए कि अगर यहां भाजपा की सरकार बनेगी तो ओडिशा में भी छत्तीसगढ़ की तरह धान का एमएसपी 3100 रुपये होगा। 48 घंटे के अंदर में ही धान का ये पैसे उनके खाते में चला जाएगा। इसके अलावा जो तोलने के बहाने जो कंटनी-छंटनी होती है और किसानों के लूटा जाता है उससे मुक्ति के लिए मंडियों में इलेक्ट्रिक मशीन लगाई जाएगी।

पीएम ने कहा कि बीजेडी सरकार का पहली बार इस तरह कच्चा-चिट्ठा देश के सामने आ रहा है। आदिवासी अधिकारों को लेकर भी ओडिशा की बीजद सरकार लापरवाह है। केंद्र सरकार ने वन-धन योजना शुरू की है। जिसके तहत वन उत्पादों की खरीद एसएसपी पर होती है। ओडिशा में 175 केंद्र खुले हैं। इनमें 80 से ज्यादा वन उत्पादों की खरीद एमएसपी पर होती है। लेकिन बीजद सरकार वन उपज पर एमएसपी नहीं देती। वह यहां आदिवासियों के लिए पेसा कानून लागू नहीं करती जिस कारण आदिवासियों के भूमि अधिकार की समस्या ज्यों की त्यों है।

पीएम मोदी ने कहा कि बीजद सरकार के कारण माताओं बहनों का घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। पीएम मोदी ने कहा कि वह दिल्ली से मुफ्त चावल के लिए पैसे भेजते हैं। लेकिन बीजेडी के लोग उसपर अपना चेहरा लगाकर बेच देते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ओडिशा की महिलाओं के लिए सुभद्रा योजना शुरू करेंगे जो काफी मददगार होगी।

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