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दिल्ली के गलियारों में दलालों के लिए जगह नहीं : मोदी
मथुरा | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सोमवार को यह कहकर अपनी सरकार की पीठ थपथाई कि अब दिल्ली के गलियारों में दलालों के लिए कोई जगह नहीं बची है, इस सरकार को लेकर जनता के बीच एक विश्वास पैदा हुआ है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के गांव नगला चंद्रभान में आयोजित जनकल्याण रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जिक्र भी किया और कहा कि पहले केंद्र से एक रुपया राज्य तक जाते-जाते कुछ पैसे ही रह जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में भाजपा की सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन और प्रशासन देश की जनता को दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब दिल्ली से चला एक-एक पैसा राज्य तक पहुंचता है। कांग्रेस शासन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि पिछले साठ वर्षो में तीन लाख किसानों ने आत्महत्या की है। अपनी सरकार के कार्यो का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब सिलेंडर सब्सिडी का पैसा सीधे खाते में पहुंचता है। भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। केंद्र सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है, जिससे केंद्र से चला पूरा पैसा राज्य तक पूरा पहुंचता है। उन्होंने लोगों से पूछा कि भाजपा सरकार बनने के बाद बुरे दिन गए या नहीं? जवाब क्या आया, यह तो पता नहीं, मगर उन्होंने आगे कहा कि अब जिनके बुरे दिन आए हैं वे चीख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं। प्रधानमंत्री यह सुवचन भी बोले, “जिनके बुरे दिन अब आए हैं, उनके अच्छे दिन आने की अब कोई गारंटी नहीं है।” मोदी ने कहा कि ब्रज की भूमि के कण-कण में श्रीकृष्ण का वास है। सरकार चाहती तो एक वर्ष पूरा होने का जश्न किसी भी दिल्ली जैसे बड़े शहर में कर सकती थी, लेकिन इसके लिए मथुरा को चुना गया।
उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय, गांधी और लोहिया को अपना प्रेरणास्रोत बताया और कहा कि इन तीन महापुरुषों ने देश की राजनीति में अमिट छाप छोड़ी है। ये भारतीय राजनीति के मार्गदर्शक रहे हैं।कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए मोदी ने उसे ‘घोटालों की सरकार’ बताया, फिर बदलाव का श्रेय खुद को देते हुए कहा, “पिछले एक वर्ष के दौरान भारत की धाक पूरी दुनिया में बढ़ी है। देश में घोटालों की सरकार का खात्मा हुआ है और भ्रष्टाचार में गिरावट आई है।” बारह महीनों में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) की नियुक्त न करने वाली केंद्र सरकार के प्रमुख ने कहा कि पिछले एक वर्ष के शासनकाल में किसी तरह के घोटाले की खबर किसी ने नहीं सुनी होगी, जबकि यूपीए सरकार में यह बेहद आम बात थी। उन्होंने देश की राजनीति में बदलाव लाने के लिए लोगों का शुक्रिया भी अदा किया।
मोदी ने कांग्रेस को परिवारवाद की राजनीति करने वाली पार्टी बताते हुए कहा कि देश की जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाकर परिवारवाद की राजनीति को जड़ से उखाड़ फेंका। प्रधानमंत्री ने कहा कि पं दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के आदर्शो से प्रेरणा लेकर ही कई योजनाओं की शुरुआत की गई है। ‘दस लाख का सूट’ के लिए चर्चित मोदी ने कहा कि जिस सादगी में पंडित जी ने जीवन बिताया और जिस सादगी के साथ जीवन जिया, वह सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। नगला चंद्रभान में स्थित दीनदयाल धाम में उनकी प्रतिमा को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद मोदी ने कहा कि देश के किसी भी कोने में पर्यावरण की रक्षा कैसे करनी चाहिए, महिला सशक्तीकरण कैसे हो, किसी गांव का समुचित विकास कैसे हो, यह दीनदयाल जी के जीवन से सीखा जा सकता है।
मोदी ने कहा, “इस पवित्र जगह पर आने का अवसर मिला, इसके लिए मैं सदैव आभारी रहूंगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष से स्वयं मैंने दीनदयाल धाम आने का आग्रह किया था। इसके साथ ही अटल जी के गांव जाने और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के गांव जाने की बात जेहन में आई थी।” प्रधानमंत्री ने कहा, “दीनदयाल धाम से जो प्रेरणा मिलेगी वह आगे आने वाले समय में काफी काम करेगी। जिस संकल्प को लेकर हम चले हैं, उसमें एक नया संचार होगा।” उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में इस रैली का आयोजन किया गया। केंद्र सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर भाजपा ने इसे जनकल्याण पर्व नाम दिया है। है।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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