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प्रादेशिक

गुडगांव में पकड़े गए कार लुटेरे

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गुड़गांव| कार चुराकर भाग रहे चार लुटेरों में से दो को पुलिस ने लगभग 50 किलोमीटर पीछा करने के बाद गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने शनिवार को बताया कि लुटेरों और पुलिस के बीच गोलीबारी भी हुई। दोनों लुटेरों की आयु 20 से 25 वर्ष के बीच है और उनकी पहचान पलवल निवासी अमित दलाल और सोहना के लखुवास गांव निवासी संदीप के रूप में हुई है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “भागने में सफल रहे दो अन्य लुटेरों की भी पहचान कर ली गई है और उनकी तलाश भी शुरू कर दी गई है।” पुलिस को शुक्रवार आधी रात गुड़गांव के सेक्टर-29 स्थित लीजर वैली से कार लूटने की सूचना मिली।

पुलिस अधिकारी ने बताया, “लुटेरे सोहना की ओर जा रहे थे। सोहना चौक पर बैरिकेड लगाया गया। लुटेरों को जब बैरिकेड पर रुकने का इशारा किया गया तो वे बैरिकेड तोड़कर पलवल की ओर भागने लगे। लुटेरों ने पुलिस दल पर गोली भी चलाई। इसके बाद गुड़गांव पुलिस ने 50 किलोमीटर तक उनका पीछा कर पलवल के हाथिन गेट पर उन्हें दबोच लिया।” गुड़गांव के पुलिस आयुक्त नवदीप सिंह विर्क ने कहा कि लुटेरों को पकड़ने वाले पुलिसकर्मियों को उचित पुरस्कार दिया जाएगा।

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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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