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कमल हासन ने मांगी माफी, पीएम मोदी से कहा- वह भी मान लें गलती

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चेन्नई। दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार कमल हसन ने नोटबंदी का समर्थन करने के लिए माफी मांगी है। हासन ने कहा कि उन्होंने जल्दबाजी में नोटबंदी का समर्थन किया था, जिसके लिए वो माफी मांगते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने पीएम मोदी से भी कहा कि वो भी गलती मान लें।

एक तमिल मैग्जीन में हासन ने लेख लिखा, जिसका टाइटल था ‘अ बिग अपोलजी ‘। लेख में उन्होंने लिखा कि मैं अपने समर्थन के लिए माफी मांगता हूं। बता दें कि पिछले साल आठ नवम्बर को जब नोटबंदी की घोषणा हुई थी तब कमल हासन उन सेलेब्रिटी में से एक थे, जिन्होंने खुले तौर पर नोटबंदी का समर्थन किया था। तब कमल ने पीएम मोदी को इस फैसले के लिए सैल्यूट करते हुए टैक्स पेयर्स के लिए बड़ा कदम करार दिया था।

हालांकि आज बदलती परिस्थितियों के बीच कमल हासन के सुर बदल गए हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले दक्षिण भारत की यात्रा पर पहुंचे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की थी। पिछले कुछ दिनों से यह भी अटकलें हैं कि वह नवम्बर में अपने जन्मदिन के दिन एक नई राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं। फिलहाल कमल का वर्तमान स्टैंड उसी की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है। वैसे भी जयललिता के निधन के बाद दक्षिण भारतीय राजनीति का एक बड़ा नाम अस्त हो चुका है। इन परिस्थितियों में भी कमल अपने लिए एक बड़ी जगह तलाश रहे हैं।

नोटबंदी के लिए अब माफी मांगने का सियासी गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। इससे साफ हो गया है कि कमल हासन अब भाजपा से दूरी बनाकर ही अपनी सियासत की चालें चलेंगे। इसके अलावा तमिल राजनीति में भाजपा भी उनके निशाने पर रहेगी।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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