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नेशनल

नेस्ले को मैगी वापस लेने के एफएसएसएआई के आदेश

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नई दिल्ली | खाद्य सुरक्षा नियामक संस्था, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने शुक्रवार को मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले को आदेश दिया कि वह बाजार से मैगी की अपनी सभी नौ किस्में वापस ले ले और उसका उत्पादन और निर्यात न करे। प्राधिकरण ने यह फैसला मैगी के नमूनों की जांच के बाद लिया है, जिसमें मैगी खाने के लिहाज से खतरनाक पाई गई है। प्राधिकरण ने कंपनी को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि चार जुलाई, 2013 को ‘टेस्टमेकर सहित इंस्टैंट नूडल्स’ के नौ प्रकारों के लिए कंपनी को दी गई अनुमति क्यों न रद्द कर दी जाए। प्राधिकरण ने कंपनी से 15 दिनों के भीतर इस नोटिस का जवाब देने के लिए कहा है।

नेस्ले को अपना एक अन्य उत्पाद ‘टेस्टमेकर सहित मैगी ओट्स मसाला नूडल्स’ को भी वापस लेने के आदेश दिए गए हैं। इस फैसले पर प्राधिकरण ने कहा कि न तो अभी तक इस उत्पाद के सुरक्षा एवं खतरा मूल्यांकन का कार्य किया गया है और न ही इस उत्पाद के लिए प्राधिकरण ने अभी अनुमति दी है। प्राधिकरण ने यह फैसला नेस्ले के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक के एक दिन बाद किया। इस बैठक में कंपनी के अधिकारियों से खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी ली गई। नेस्ले के प्रतिनिधियों के दल का नेतृत्व उसके वैश्विक मुख्य कार्यकारी अधिकारी पॉल बुलके और प्रबंध निदेशक एवं भारत में कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एटीन बेनेट ने किया था। इससे पहले गुरुवार को नेस्ले ने कहा था कि वह पूरे देश से मैगी को वापस ले रही है।

नेस्ले ने प्राधिकरण के अधिकारियों के सामने दलील दी थी कि चूंकि उनके उत्पाद में दो चीजें (नूडल्स और टेस्टमेकर) हैं, इसलिए नमूनों का परीक्षण अलग-अलग नहीं एक साथ करना चाहिए। हालांकि प्राधिकरण ने उनकी दलील खारिज कर दी। नियामक संस्था के मुताबिक, उत्तर प्रदेश से लिए गए नमूनों की कोलकाता में जांच कराई गई थी, जिसमें सीसे की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई थी, जबकि तय मानकों के मुताबिक इसकी मात्रा 2.5 पीपीएम होनी चाहिए। इसी प्रकार दिल्ली, गुजरात और तमिलनाडु में किए गए परीक्षणों में मैगी में खतरनाक धातुओं की अधिक मात्रा की पुष्टि हुई।

‘टेस्टमेकर सहित मैगी ओट्स मसाला नूडल्स’ के मुद्दे पर प्राधिकरण ने कहा कि नेस्ले ने उत्पाद की स्वीकृति के लिए 17 अगस्त, 2014 में आवेदन किया था। सुरक्षा और खतरों के मूल्यांकन के लिए कंपनी से सफाई मांगी गई थी। प्राधिकरण ने कहा, “कंपनी ने तय समयसीमा के अंदर जवाब नहीं दिया और इस तरह के आवेदन, जिनपर कोई जवाब नहीं आता है, उन्हें अपने आप बंद मान लिया जाता है।” कंपनी ने कहा कि यह उत्पाद उस दौरान लांच किया था, जब 11 मई, 2011 को जारी परामर्श पर अदालत ने रोक लगा दी थी।

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संजय सिंह ने एग्जिट पोल को बताया बेबुनियाद, बंद कराने की उठाई मांग

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने से पहले आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एग्जिट पोल्स की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने एग्जिट पोल्स को बंद कराने की मांग भी की है। उनका कहना है कि ये एग्जिट पोल बेबुनियाद होते हैं। इसके लिए उन्होंने कई तर्क भी दिए। उन्होंने कहा कि जहां जितनी सीटें नहीं, उतनी सीटों पर चुनाव लड़वा रहे। कहीं भाजपा को दे रहे कुल वोट से ज्यादा शेयर तो कहीं उस पार्टी को चुनाव लड़वा दिया, जिसने उम्मीदवार ही नहीं उतारे।

उन्होंने कहा कि झारखंड में सीपीआईएम चुनाव ही नही लड़ रही है और उसे 2 से 3 सीट दे रहे हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस खुद 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और एक्जिट पोल कांग्रेस को 13 सीट जीता रहे हैं। तमिलनाडु को बीजेपी को 34% वोट शेयर मिला है। बीजेपी खुद इस पर विश्वास नहीं कर रही। उत्तराखंड में कुल सीट 5 हैं, लेकिन बीजेपी 6 सीटों पर जीत रही है। हिमाचल में मतगणना होगी 4 सीट पर और आएंगी 6 सीट।

संजय सिंह ने कहा “राजस्थान 25 सीट पर नतीजे आएंगे और 33 सीटें मिल जाएंगी। यूपी में एनडीए की सीटें बढ़ गईं, इंडिया गठबंधन की घट गईं। केरल में 27 % वोट शेयर बीजेपी सुन कर बेहोश हो गई। ये कौन सा एक्जिट पोल है। एक्जिट पोल के इतिहास पर भी सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि 2004 में एक्जिट पोल ने बीजेपी को जिता दिया था। बंगाल विधानसभा में बीजेपी को जिता दिया था, जबकि नतीजे इसके उलट रहे थे।

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