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आध्यात्म

उसके बाद श्रीकृष्ण को वैराग्य हो गया

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बहुत दिन तक 16108 स्त्रियां से रमण करने के बाद श्रीकृष्‍ण को वैराग्‍य हो गया। और सुनो, इनको वैराग्‍य हो गया? इतने सारे बच्‍चे पैदा हुये, ये कौन हैं जो बच्‍चे पैदा हुये इनके?

तास्‍वपत्‍यान्‍यजनयदात्‍मतुल्‍यानि सर्वतः।

एकैकस्‍यां दश दश प्रकृतेर्विबुभूषया।।

(भाग 3-3-9)

अपने समान बच्‍चे पैदा किये। ध्‍यान दो। अपने समान ‘आत्‍मुल्‍यानि’ अपने समान बच्‍चे पैदा किये और फिर क्‍या हुआ? अब अवारा हो गये। अपने समान बच्‍चे, अपने समान ही अवारा हो गये। क्‍या मतलब, भगवान् अवारा हैं क्‍या? अरे अपने समान बच्‍चे पैदा किये ये, एक लाख इकसठ हजार और सब अवारा हो गये इनको मरवा देना चाहिये। वाह! और मरवा भी दिया। कौन समझेगा? अरे भगवान् की बात तो छोड़ो –

यस्‍य नाहंकृतोभावो बुद्धिर्यस्‍य न लिप्‍यते।

हत्‍वापि स इमांल्‍लोकान्‍न हन्ति न निबध्‍यते।

(गीता 18-17)

जिसकी कर्म करने में कर्तव्‍य की बुद्धि न हो, अहंकार न हो, ऐसा कर्मयोगी ही कर्म बन्‍धन में नहीं पड़ता। करोंड़ों मर्डर करने वाला अर्जुन, कुछ नहीं किया उसने, किसी को नहीं मारा। सारी दुनिया गवाही है। सब अन्‍धे हैं। ‘हत्‍वापि स इमांल्‍लोकान्’ सबको मारा और नहीं मारा। तो जब महापुरुषों का ये हाल है कि कर्म बन्‍धन उनको नहीं हो सकता, अच्‍छा करें चाहे बुरा करें-

कुशलाचरितेनैषमिह स्‍वार्थो न विद्यते।

विपर्ययेण वानर्थो निरहकारिणां प्रभो।।

(भाग 10-33-33)

शुकदेव ने डांटा था जब परीक्षित को कि तुम भगवान् पर डाउट करते हो? क्‍यों रास किया? अरे महापुरुष, उनको छू लेने वाला अच्‍छा कर्म करे तो कोई लाभ नहीं, फल नहीं मिलेगा और गलत काम करे, मर्डर, इससे और बड़ा गलत काम क्‍या होगा और एक, दो नहीं हनुमान जी ने लाखों ब्रह्महत्‍यायें कर डालीं और कर्म बन्‍धन नहीं। भगवान् ने तो कहा-

एकैकस्‍योपकारस्‍य प्राणयान् दास्‍यामि ते कपे।

शेषस्‍येहोपकाराणां भवाम ऋणिनो व्‍यम् ।।

(वा रामा)

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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