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आध्यात्म

देश भर में आज गणेश चतुर्थी की धूम, प्रधानमंत्री ने देशवासियों को दी बधाई

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नई दिल्ली। देश भर में आज गणेश चतुर्थी की धूम है। आज के दिन ही लोग अपने अपने घरों में गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं और आज से ही बप्पा की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है। देश भर के विभिन्न मंदिरो में आज सुबह से ही बप्पा की पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ मंदिरों में उमड़ी है। इस उत्सव पर लोगों ने बप्पा के खूबसूरत और अनोखे पंडाल भी बनाए हैं जो आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान श्री गणेश की कृपा हम पर सदैव बनी रहे।

यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोः, यतः सम्पदो भक्तसन्तोषिकाः स्युः।

यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिः, सदा तं गणेशं नमामो भजामः।।

गणेश चतुर्थी की ढेरों शुभकामनाएं। गणपति बाप्पा मोरया!

गणेश चतुर्थी के अवसर पर मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर में पहली आरती की गई। इस दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दिखाई दी। सिद्धिविनायक के अलावा मुंबई के लालबागचा राजा पंडाल से गणेश चतुर्थी के समारोह में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गणेश चतुर्थी के अवसर पर मूर्तिकारों ने विशेष वस्तुओं से गणेश की मूर्ति तैयार की। एक मुर्तिकार ने कहा, “हमने विशेष मूर्तियों बनाई हैं जो खास हैं, मूर्तियों को बनाने में सीप और पास्ता जैसी चीजों का उपयोग किया है। किसी प्रकार के रंग का उपयोग नहीं किया है।”

कोरोना के दौरान 2 साल के प्रतिबंधों के बाद 2022 में फिर से शुरू हुई गणेश चतुर्थी के अवसर पर लोगों में उत्साह दिखाई दे रहा है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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