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आध्यात्म

13 दिनों तक सूर्य की तरह चमकेगा इन राशि वालों का भाग्य, क्या है आपकी राशि

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नई दिल्ली। सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य देव के शुभ होने पर व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है। आने वाले 13 दिनों तक सूर्य देव सिंह राशि में विराजमान रहेंगे। इसीलिए ज्योतिष गणनाओं के अनुसार 17 सितंबर तक का समय कुछ राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहेगा।

इन राशि वालों को किसी भी तरह की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। आइए जानते हैं सूर्य देव की कृपा से आने वाले 13 दिन किन राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहने वाले हैं-

मिथुन राशि-

मन शान्त रहेगा।

कारोबार में सुधार होगा।

किसी मित्र से आर्थिक सहयोग मिल सकता है।

लाभ के अवसर मिलेंगे।

आय की स्थिति सन्तोषजनक रहेगी।

वाणी के प्रभाव में वृद्धि होगी।

कारोबार में किसी मित्र का सहयोग मिल सकता है।

सिंह राशि-

वाणी में मधुरता रहेगी।

सन्तान की ओर से सुखद समाचार मिल सकता है।

कारोबार में लाभ बढ़ेगा।

परिवार में सुख शान्ति रहेगी।

भाई-बहनों के सहयोग से कारोबार को गति मिल सकती है।

पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी।

वृश्चिक राशि-

मन प्रसन्न रहेगा।

आत्मविश्वास भरपूर रहेगा।

नौकरी में परिवर्तन के अवसर मिल सकते हैं।

आय में वृद्धि होगी।

किसी मित्र का सहयोग मिल सकता है।

धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी।

माता-पिता का सानिध्य मिलेगा।

धनु राशि-

पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी।

शैक्षिक कार्यों की स्थिति में सुधार होगा।

मानसिक शान्ति रहेगी।

भाई-बहनों के सहयोग से कारोबार में सुधार होगा।

दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों के पूर्णतया सत्य एवं सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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