आध्यात्म
हरतालिका तीज का व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। मान्यता है कि महिलाएं अगर इस दिन सच्चे मन से व्रत रखती हैं तो उन्हें सौभाग्य का प्राप्ति होती है।
इसे कजरी तीज भी कहते हैं। इस व्रत को करना किसी तपस्या से कम नहीं है। पूरे दिन कुछ खाने की तो छोड़िए पानी तक नहीं पिया जाता है। इस व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है। व्रत के दिन शाम को कथा कहकर फल आदि ग्रहण कर सकते हैं।
हरतालिका तीज का त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर भारतीय महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल तीज का त्योहार 30 अगस्त 2022 यानी आज मनाया जा रहा है।तीज मुख्यतः राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में मनाई जाती है।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
हरितालिका तीज मंगलवार, अगस्त 30, 2022 को
प्रातःकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 08 बजकर 53 मिनट तक
अवधि – 02 घण्टे 30 मिनट्स
तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 29, 2022 को शाम 03 बजकर 20 मिनट से
तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 29, 2022 को शाम 03 बजकर 20 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 30, 2022 को शाम 03 बजकर 33 मिनट तक
हरतालिका तीज शुभ योग-
रवि योग- सुबह 06 बजकर 23 मिनट से रात 11 बजकर 50 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से शाम 01 बजकर 04 मिनट तक
विजय मुहूर्त- शाम 02: बजकर 44 मिनट से शाम 03 बजकर 34 मिनट तक
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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