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आध्यात्म

कार्तिक पूर्णिमा पर स्‍नान दान करने का है विशेष महत्‍व, ऐसे करें मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न

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Kartik Purnima 2023

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नई दिल्ली। कार्तिक पूर्णिमा का सनातन धर्म में बेहद खास महत्व है। शरद पूर्णिमा के बाद कार्तिक पूर्णिमा की तिथि मां लक्ष्मी को सबसे प्रिय है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को है और इस दिन स्‍नान दान करने का विशेष महत्‍व माना गया है। इसके साथ ही मां लक्ष्‍मी की विधि विधान से पूजा करने से आपको अति शीघ्र ही उनकी कृपा का लाभ होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर स्‍नान दान के साथ मां लक्ष्‍मी की पूजा करने का भी विशेष महत्‍व होता है।

इसके साथ ही मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के लिए कुछ उपाय करने से आपको लाभ होता है और आपके घर में मां लक्ष्‍मी का वास होता है।पूर्णिमा तिथि को मां लक्ष्‍मी की पूजा के लिए सबसे योग्‍य माना जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन वह बहुत प्रसन्‍नचित होती हैं और भक्‍तों को मनचाहा फल देती हैं। इन उपायों को करने से आपके घर में सुख समृद्धि बढ़ती है और आर्थिक कष्‍ट से मुक्ति मिलती है।

कार्तिक पूर्णिमा पर मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के लिए कुछ खास उपाय-

कार्तिक पूर्णिमा पर पीपल के पेड़ का उपाय

कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न मुद्रा में पीपल के पेड़ पर वास करती हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह स्‍नान करके अन्‍न जल ग्रहण करने से पहले पीपल के पेड़ पर दूध में श्‍क्‍कर मिलाकर चढ़ाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी आपसे प्रसन्‍न होती हैं और उनकी कृपा से आपके जीवन से सभी आर्थिक संकट दूर होते हैं।

मां लक्ष्‍मी को लगाएं खीर का भोग

कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्‍मी को केसर की खीर का भोग लगाएं और विधि विधान से मां लक्ष्‍मी की पूजा करें। उनकी पूजा में पीली कौड़ियां चढ़ाएं और अगले दिन सुबह उन कौड़ियों को अपने धन के स्‍थान में रख दें। ऐसा करने से आपके घर में साल भर सुख समृद्धि बनी रहेगी और मां लक्ष्‍मी आप पर मेहरबान होंगी।

चंद्रमा को दें अर्घ्‍य

पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की पूजा करने से आपको विशेष लाभ होता है। चंद्रमा को अर्घ्‍य देने से आपको मां लक्ष्‍मी की कृपा का विशेष लाभ होगा। इस दिन चंद्रमा को रात में चांदी के लोटे में दूध, जल, शक्कर और सफेद फूल से अर्घ्य दें। ऐसा करने से आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और मां लक्ष्‍मी की कृपा से आपको धन की प्राप्ति होती है।

कार्तिक पूर्णिमा पर करें ये उपाय

कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने घर के मुख्‍य द्वार पर आम का पल्‍लव लगाना चाहिए और दोनों तरफ हल्‍दी से स्‍वास्तिक का चिह्न बनाएं। ऐसा करने से आपके घर की तरफ सकारात्‍मक ऊर्जा आ‍कर्षित होगी और मां लक्ष्‍मी के चरण आपके घर में पड़ेंगे। आपके घर में धन वैभव और ऐश्‍वर्य बढ़ेगा आपके परिवार के लोगों की तरक्‍की होगी।

कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का उपाय

कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में जाकर दीपदान करने का भी विशेष महत्‍व माना गया है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से आपको कर्ज से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी भी आपसे प्रसन्‍न होती हैं। अगर आपके आसपास कोई नदी नहीं है तो आप घर के ईशान कोण में पूरी रात गाय के घी का दीपक जलाकर रखें।

डिसक्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्णतया सत्य व सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पूर्व संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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