आध्यात्म
अयोध्या: जय श्रीराम के उद्घोष के साथ शुरू हुई 14 कोसी परिक्रमा, उमड़ा आस्था का सागर
अयोध्या। प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा रात्रि के तीसरे पहर दो बजकर नौ मिनट पर जय श्रीराम के जयघोष के साथ शुरू हुई। परिक्रमा के प्रारंभिक स्थल नाका मुजफरा स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर की मिट्टी को माथे पर लगा श्रद्धालुओं ने परिक्रमा शुरू की। परिक्रमा मार्ग पर सिर पर आस्था की गठरी लिए नंगे पांव श्रद्धालुओं का सैलाब नजर आया।
लाखों की भीड़ का अनुमान लगा प्रशासन सुरक्षा और मेला व्यवस्था के लिए पूरी तरह से सतर्क रहा। परिक्रमा मार्ग पर ड्रोन कैमरे से निगरानी की जाएगी। महत्वपूर्ण स्थलों पर हर कोई सीसीटीवी कैमरे की जद में रहा। डीएम नीतीश कुमार के मुताबिक श्रद्धालु नंगे पांव परिक्रमा करेगें, इसलिए परिक्रमा मार्ग पर जगह-जगह बालू डालकर इसे आरामदेह बनाने की कोशिश भी की गई है।
परिक्रमार्थियों का उल्लास सोमवार को दिन ढलने के साथ ही छलकने लगा था। कुछ तो पहले ही रामनगरी की परिधि पर स्थित गुप्तारघाट, लक्ष्मणघाट, संत तुलसीदासघाट, सूर्यकुंड, गिरिजाकुंड, नाका हनुमानगढ़ी जैसे उन स्थलों पर डट गए, जहां से परिक्रमा शुरू होती है, जबकि रामनगरी से जुड़ने वाले विभिन्न मार्गों सहित होटल, धर्मशाला, मंदिर, सार्वजनिक स्थल, रेलवे और बस स्टेशन से भी परिक्रमा से जुड़ी गहमागहमी शिखर की ओर है।
रामजन्मभूमि पर निर्मित हो रहे भव्य मंदिर में 22 जनवरी को रामलला के विग्रह की स्थापना और रामनगरी को श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी बनाए जाने की संभावनाओं और प्रतीक्षा के बीच पूर्व बेला से ही परिक्रमार्थियों का उल्लास सातवें आसमान पर है। 21 नवंबर को रात्रि के तीसरे पहर दो बज कर नौ मिनट से शुरू हुई 14 कोसी परिक्रमा का मुहूर्त मंगलवार को रात 11:38 बजे तक है।
यानी रामनगरी मंगलवार को पूरे दिन से लेकर मध्य रात्रि तक परिक्रमार्थियों की आस्था से अभिषिक्त रहेगी। राम भक्तों की विशेष चिंता करने वाली सरकार ने प्रशासन को मेला की तैयारी के विशेष निर्देश दिए थे। प्रशासन भी सुरक्षा, सफाई व मूलभूत संसाधन उपलब्ध करा रहा है। जिला प्रशासन का दावा है कि श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।
परिक्रमा पर योगी सरकार का फोकस
14 कोसी परिक्रमा में श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा की समुचित व्यवस्था के साथ सफाई के बीच परिक्रमा हो, योगी सरकार का इस पर भी विशेष फोकस है। सरकार की मंशानुरूप प्रशासन पूरी तरह मुश्तैद है।
मंगलवार रात्रि 2:00 बजे से अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा शुरू हुई 21 नवंबर की रात 11:38 तक चलेगी। यहां पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं ने रामनाम संकीर्तन और लोक गीतों के साथ परिक्रमा करते हैं। ड्रोन कैमरे की देखरेख में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए है।
ATS की निगरानी में जारी है परिक्रमा
ATS की निगरानी में शुरू हुई परिक्रमा में भीड़ भाड़ वाले स्थान पर सुरक्षा के ख़ास इंतजाम हैं। पूरे पथ पर जगह-जगह पुलिस के साथ सुरक्षा बल तैनात हैं। मार्ग पर प्रकाश की व्यवस्था है। पूरे परिक्रमा पथ पर संगठनों के शिविर हैं जहां चाय नाश्ते के साथ अल्पाहार की व्यवस्था है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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