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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन का कारनामा, ‘विकी डोनर’ बनने के लिए कम्युनिस्ट होना जरूरी

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चीन ने अजीबोगरीब फरमान जारी कर दुनिया को चौंका दिया है। यहां के एक स्पर्म बैंक ने देश प्रेम जताने के लिए एक अनोखी शर्त रखते हुए संभावित स्पर्म दाताओं से कम्युनिस्ट पार्टी के लिए निष्ठावान होने की मांग की है।

दरअसल चीन के पेकिंग यूनिवर्सिटी के थर्ड हॉस्पिटल ने स्पर्म डोनेट करने के लिए अजीब शर्त रखी है। चीन के सबसे बड़े स्पर्म बैंक ने कहा है कि वहीं लोग स्पर्म डोनेट कर सकते हैं जो कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक होंगे।

थर्ड हॉस्पिटल ने एक स्पर्म डोनेशन कैम्पेन चलाया है जिसमें उन्होंने संभावित डोनर्स के लिए आवश्यकताओं की एक लिस्ट जारी की है। स्पर्म बैंक द्वारा वीचैट पर एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें डोनर्स के लिए शर्तें बताई गई हैं। इनमें कोई गंभीर बीमारी न होना, कलर ब्लाइंड न हों जैसी बातों के साथ-साथ यह भी लिखा है कि वही लोग स्पर्म डोनेट कर पाएंगे जो 20 से 45 की उम्र के हों और मातृभूमि को प्यार करने वाले हों, कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व का समर्थन करें, पार्टी के लिए वफादार और सभ्य रहें, कानून का पालन करने वाले हों और राजनीतिक समस्याओं से दूर रहने वाले हों। हालांकि डोनर्स को कैसे वेरिफाई किया जाएगा, इस पर स्पर्म बैंक ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।

कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख शी जिनपिंग

पोस्ट में यह वादा भी किया गया कि स्पर्म दान करने के लिए मेडिकल टेस्ट पास करने वाले लोगों को 5,500 युआन यानी करीब 56 हजार 658 रुपये दिए जाएंगे। कहा जा रहा है कि स्पर्म बैंक का यह फरमान कम्युनिस्ट पार्टी और उसके प्रमुख शी जिनपिंग को खुश करने के लिए जारी किया है। बता दें कि चीन के नैशनल हेल्थ कमिशन के मुताबिक, चीन में 23 स्पर्म बैंक हैं, लेकिन वहां स्पर्म डोनर्स की भारी कमी है।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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