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बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं : तसलीमा नसरीन
नई दिल्ली| बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन ने सोमवार को कहा कि उनके देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है जिसकी पुष्टि लेखकों और ब्लॉगरों की हत्याओं से होती है। तसलीमा ने टीवी चैनल सीएनएन-न्यूज 18 से कहा, “बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की कोई स्वतंत्रता नहीं है। लेखकों और ब्लॉगरों की हत्या केवल इसलिए होती है क्योंकि उनके विचार कट्टरवादियों से भिन्न हैं। कई ब्लॉगर जेल में हैं।”
नसरीन कई वर्षो से बांगलादेश से बाहर रह रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लेखकों को सुरक्षा मुहैया कराने में विफल है, इसलिए उनका तेजी से पलायन हो रहा है।
नसरीन ने कहा, “कई ब्लॉगर देश छोड़ कर अमेरिका, जर्मनी, भारत और नेपाल चले गए। कई ने डर से लिखना ही छोड़ दिया।”
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आतंकी हमले में देशी आतंकवादी शामिल थे। इस वारदात में एक भारतीय समेत 28 लोगों की मौत हुई थी।
लेखिका ने कहा, “ये देश में प्रशिक्षित आतंकवादी हैं, लेकिन इस्लामिक स्टेट और अल कायदा से इनके अच्छे संबंध हैं।”
उन्होंने देश की स्थिति की अनदेखी के लिए बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना की आलोचना की।
नसरीन ने कहा कि हसीना ने हमेशा इस बात को नजरंदाज करने की कोशिश की कि बांग्लादेश में इस्लामीकरण शुरू हो गया है और कट्टरवादी एवं आतंकवादी बढ़ रहे हैं।
नेशनल
628 को उम्रकैद, 37 को दिलवाई फांसी, जानें कौन हैं मुंबई उत्तर मध्य सीट से बीजेपी उम्मीदवार उज्जवल निकम
मुंबई| लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने शनिवार को 15वीं सूची जारी कर दी। इस सूची में उज्जवल निकम का नाम भी शामिल है। मशहूर वकील उज्जवल निकम को भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए मुंबई उत्तर मध्य सीट से प्रत्याशी बनाया है। इस सीट से पूनम महाजन का टिकट काट गया है।
बता दें कि पूनम महाजन मुंबई की नॉर्थ सेंट्रल सीट से बीजेपी की निवर्तमान सांसद है। बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी। इससे पहले 2014 में भी वह इसी सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं लेकिन इस बार पार्टी ने उनपर भरोसा न जताकर वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम को चुनावी मैदान में उतारा है।
बता दें कि उज्जवल निकल देश के जाने-माने वकील हैं उन्हीं ने मुंबई में 26/11 हमले को अंजाम देने वाले आतंकी आमिर कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया था। इस केस में वह विशेष लोक अभियोजक भी थे। इसके अलावा वह 1993 के बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन हत्याकांड जैसे हाई प्रोफाइल केसों में सरकारी की ओर से केस लड़ चुके हैं। उन्होंने अपने 30 साल लंबे करियर में 628 लोगों को आजीवन कारावास और 37 लोगों को मृत्युदंड की सजा दिलवाई।
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