Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

ज्ञानवापी व्यासजी तहखाने का नया नाम ज्ञान तालगृह, पांच पहर की आरती का समय भी हुआ तय

Published

on

No relief to Muslim side in Vyasji Puja case

Loading

वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहखाने में दर्शन पूजन आरंभ होने के बाद संत समाज के साथ ही काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारियों ने भी पूजन किया। काशी विद्वत परिषद ने व्यासजी के तहखाने को नया नाम ज्ञान तालगृह दिया।

कहा कि तहखाना नहीं, अब ज्ञान तालगृह के नाम से ही इसे जाना जाएगा। इस पर अखिल भारतीय संत समिति ने भी मुहर लगा दी। वहीं पांच पहर की आरती का समय भी तय कर दिया गया है। पहली आरती सुबह सुबह 3:30 बजे होगी।

प्रतिदिन की शुरुआत मंगला आरती से होगी। मंगला आरती- सुबह 3:30 बजे, भोग आरती- दोपहर 12 बजे, अपरान्ह- शाम 4 बजे, सांयकाल- शाम 7 बजे और शयन आरती- रात्रि 10:30 बजे होगी। इससे पहले ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा के आदेश के बाद वादी शैलेंद्र पाठक ने बुधवार की शाम को जिलाधिकारी एस राजलिंगम से मुलाकात की और देवी-देवताओं के राग-भोग की तत्काल अनुमति मांगी। तहखाने के रिसीवर जिलाधिकारी ही हैं।

लिहाजा, तहखाने में विग्रह को प्रतिष्ठित करके पूजा-अर्चना शुरू करा दी गई। विग्रह चयन के लिए प्रशासन ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट का अध्ययन कराया, फिर कोषागार में बंद तहखाने से मिले विग्रह को तत्काल निकलवाकर तहखाने में प्रतिष्ठित कराया।

रिपोर्ट में इन विग्रहों का जिक्र

ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया कि तहखाने में हनुमान की दो, विष्णु और गणेश की एक, दो शिवलिंग और एक मकर प्रतिमा प्राप्त हुई है। इन विग्रहों के साथ ही 259 सामग्रियों को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिया गया था।

इसे बतौर प्रमाण कोषागार में रखवाया गया है। जिला जज की अदालत से आदेश जारी होने के बाद वादी जिलाधिकारी के पास पहुंचे और जिला जज के आदेश का अनुपालन कराने की मांग रखी।

अधिवक्ताओं से राय लेने के बाद प्रशासन ने विग्रह का कराया चयन

प्रशासन ने इस मामले में शासकीय अधिवक्ताओं से विधिक राय लेने के बाद सबसे पहले तहखाने से विग्रह का चयन कराया। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ धाम से व्यासजी के तहखाने के बीच रास्ता बनाने के लिए विशेषज्ञों की टीम को भेजा।

टीम ने चार फीट के बैरिकेडिंग को काटने और यहां गेट लगाने की सलाह दी। इसके बाद प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों की निगरानी में व्यासजी के तहखाने तक पहुंचने के लिए ज्ञानवापी की बैरिकेडिंग को काटकर हटाया गया।

विग्रहों के चयन में अफसरों को लगे दो घंटे

अफसरों को सबसे ज्यादा मशक्कत विग्रहों के चयन में करनी पड़ी है। जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में रखे गए विग्रहों के लिए कोषागार खोलने का आदेश जारी हुआ। इसके बाद कोषागार में रखे गए सभी 259 सामग्रियों में एएसआई की रिपोर्ट से मिलान कर आठ विग्रह अलग किए गए। इस बीच दो घंटे से ज्यादा का समय लगा। विग्रहों को रात 11 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में लाया गया।

शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए रात में किया काम

व्यासजी के तहखाने में पूजा पाठ और राग भोग के आदेश के अनुपालन के साथ प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी प्रयासरत रहा। यही कारण है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में शयन आरती के श्रद्धालुओं के निकलने के बाद व्यासजी के तहखाने के रास्ते का निर्माण शुरू कराया गया। ताकि किसी तरह की नारेबाजी या अफवाह नहीं फैले। काम पूरा करने के बाद प्रशासन ने पूरी जानकारी साझा की।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending